जमानत अर्जी पर 21 बार सुनवाई स्थगित होने से नाखुश न्यायालय ने जल्द निपटारा सुनिश्चित करने को कहा
जमानत अर्जी पर 21 बार सुनवाई स्थगित होने से नाखुश न्यायालय ने जल्द निपटारा सुनिश्चित करने को कहा
नयी दिल्ली, 29 अगस्त (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जमानत अर्जी पर सुनवाई 21 बार स्थगित होने से अप्रसन्न उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दोहराया कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में शीघ्रता से फैसला लिया जाना चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से मामले पर व्यक्तिगत रूप से गौर करने को कहा।
पीठ ने कहा, “हम बार-बार कहते आए हैं कि नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में सुनवाई और निर्णय शीघ्रता से होना चाहिए। इसलिए, हम इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करते हैं कि वह इस मामले का जल्द निपटारा करें।”
पीठ कुलदीप नाम के एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उसके वकील ने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कुलदीप की जमानत अर्जी पर सुनवाई 21 बार स्थगित की गई और अब मामले को दो महीने बाद सूचीबद्ध किया गया है।
जब कुलदीप के वकील ने एक हालिया मामले का जिक्र किया, जिसमें शीर्ष अदालत ने एक आरोपी को जमानत दे दी थी, क्योंकि उसकी याचिका पर सुनवाई 43 बार स्थगित हुई थी, तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से व्यक्तिगत रूप से इस पर गौर करने को कहा है।
सर्वोच्च न्यायालय ने मामले में आरोपी को तुरंत जमानत देने से इनकार कर दिया। उसने कहा, “यह कहने की जरूरत नहीं है कि कम से कम सुनवाई की अगली तारीख पर, उच्च न्यायालय इस मामले पर विचार करेगा और जमानत अर्जी पर फैसला सुनाएगा।”
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अगर फिर भी कोई असंतोष हो, तो आरोपी फिर से शीर्ष अदालत का रुख कर सकता है।
न्यायमूर्ति गवई ने हाल ही में व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में सुनवाई स्थगित करने की उच्च न्यायालय की प्रवृत्ति की निंदा की थी।
उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज कई मामलों में साढ़े तीन साल से अधिक समय से हिरासत में मौजूद एक आरोपी को 25 अगस्त को यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि उच्च न्यायालय में उसके मामले पर सुनवाई 43 बार स्थगित की गई थी।
भाषा पारुल माधव
माधव

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