वृंदावन मंदिर में ‘चमत्कार’ के बाद उप्र की महिला ने भगवान कृष्ण से ‘विवाह’ किया

वृंदावन मंदिर में 'चमत्कार' के बाद उप्र की महिला ने भगवान कृष्ण से 'विवाह' किया

वृंदावन मंदिर में ‘चमत्कार’ के बाद उप्र की महिला ने भगवान कृष्ण से ‘विवाह’ किया
Modified Date: December 7, 2025 / 09:37 pm IST
Published Date: December 7, 2025 9:37 pm IST

बदायूं (उप्र), सात दिसंबर (भाषा) वृंदावन के एक मंदिर में 28 वर्षीय महिला की हथेली में ‘चमत्कारिक रूप से’ सोने की अंगूठी गिरने के बाद उसने भगवान कृष्ण की मूर्ति से यहां विवाह कर लिया। उसके पिता ने यह दावा किया।

यह ‘चमत्कार’ लगभग तीन महीने पहले बांके बिहारी मंदिर में हुआ।

चंदौसी के एक कॉलेज से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर पिंकी शर्मा एक अत्यंत धार्मिक किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं।

 ⁠

उनके पिता सुरेश चंद्र शर्मा ने बताया कि उनका परिवार कम से कम चार वर्षों से वृंदावन जा रहा है और घर पर प्रतिदिन पूजा-अर्चना करता है।

उन्होंने कहा, ‘हम हमेशा पिंकी के लिए एक योग्य वर की कामना करते थे, जो स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश में थी, लेकिन… उसने कहा कि उसका विवाह तभी होगा जब कृष्ण चाहेंगे।’

सुरेश चंद्र के अनुसार, यह इच्छा परिवार की हाल में वृंदावन यात्रा के दौरान पूरी हुई।

उन्होंने दावा किया, ‘पिंकी बांके बिहारी के सामने अपनी हथेलियां खोले खड़ी थी, तभी प्रसाद के साथ एक अंगूठी उसके हाथ में आ गिरी। उसने इसे एक दिव्य संकेत के रूप में लिया कि कृष्ण ने उसे चुना है।’

पिंकी के लिए यह हस्तक्षेप ही काफ़ी था कि उसने अपने माता-पिता से उसके लिए वर ढूंढना बंद करने को कहा। परिवार ने शनिवार रात भगवान से ‘विवाह’ करने की उसकी इच्छा का सम्मान किया।

लगभग 100-150 गांव वाले बारात लेकर पिंकी के घर कृष्ण की एक मूर्ति लेकर आए।

एक पंडाल लगाया गया, हिंदू विवाह की रस्में निभाई गईं और भोजन परोसा गया। पिंकी ने मूर्ति को माला पहनाई और अग्नि के चारों ओर सात फेरे लिए।

पिंकी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘मैंने सब कुछ कृष्ण पर छोड़ दिया है। अब जो भी होगा, वह उनकी इच्छा के अनुसार होगा।’

सुरेश चंद्र ने कहा कि हालांकि उनके पास पैसे की कमी है, फिर भी वह वृंदावन में उनके लिए एक छोटे से घर का प्रबंध कर सकते हैं।

पांच भाई-बहनों में चौथे नंबर की पिंकी फिलहाल अपनी बड़ी बहन और बहनोई के साथ रह रही है, जिन्हें परिवार ने प्रतीकात्मक रूप से ‘शादी’ के दौरान ‘दूल्हे के पक्ष’ के रूप में माना था।

भाषा सं आनन्द नोमान

नोमान


लेखक के बारे में