भालुओं के बढ़ते हमलों के बीच उत्तराखंड वन विभाग का व्यापक अध्ययन का निर्णय

भालुओं के बढ़ते हमलों के बीच उत्तराखंड वन विभाग का व्यापक अध्ययन का निर्णय

भालुओं के बढ़ते हमलों के बीच उत्तराखंड वन विभाग का व्यापक अध्ययन का निर्णय
Modified Date: November 25, 2025 / 01:28 pm IST
Published Date: November 25, 2025 1:28 pm IST

देहरादून, 25 नवंबर (भाषा) उत्तराखंड की पहाड़ियों में पिछले दो महीने से भालुओं के बढ़ते हमलों के बीच इसका दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए प्रदेश के वन विभाग ने काले हिमालयी स्तनपायी जीव के व्यवहार का व्यापक अध्ययन करने का निर्णय लिया है।

प्रदेश के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक रंजन कुमार मिश्रा ने कहा, ‘‘वन्यजीव विशेषज्ञों की मदद से वन विभाग भालुओं पर जल्द ही एक अध्ययन करेगा जिससे उत्तराखंड में इंसानों के साथ हो रहे उनके संघर्ष का कोई दीर्घकालिक समाधान निकाला जा सके।’’

उन्होंने कहा कि अध्ययन में दूसरे राज्यों में इस समस्या से निपटने के लिए अपनाए जा रहे उपायों को इस प्रदेश में लागू करने की संभावनाओं को भी शामिल किया जाएगा।

 ⁠

प्रदेश में चमोली, पौड़ी और पिथौरागढ़ सर्वाधिक प्रभावित जिले हैं जहां पिछले कुछ समय में भालू-मानव संघर्ष में वृद्धि दर्ज की गयी है।

विशेषज्ञों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इस तरह के अध्ययन दीर्घकालिक दृष्टि से सदैव उपयोगी होते हैं।

वन्यजीव विशेषज्ञ सत्य कुमार ने कहा, ‘‘इससे पहले हम कश्मीर में भालुओं पर अध्ययन कर चुके हैं। हालांकि, उत्तराखंड में अभी तक ऐसा कोई अध्ययन नहीं हुआ है। यह एक अच्छा निर्णय है।’’

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पहाड़ी राज्य में इस साल अब तक भालुओं के हमलों में पांच व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है और 69 अन्य घायल हुए हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि भालुओं और इंसानों के बीच इस तरह के संघर्ष के पीछे कई कारण हैं। कूड़े-कचरे को फैलाना एक बड़ा कारण है जो भालुओं को मानव बस्तियों के करीब आने के लिए आकर्षित कर रहा है।

गौरतलब है कि भालू सामान्यत: तेंदुओं की तरह आदमखोर नहीं होते। हालांकि, सितंबर में पौड़ी जिले के थलीसैंण में आतंक का कारण बन गए एक भालू को आदमखोर घोषित किया गया था। अभी तक इस भालू को पकड़ा नहीं जा सका है।

प्रदेश के वन विभाग के मुखिया समीर सिन्हा ने इस संबंध में कहा, ‘‘थलीसैंण के अलावा, हमें ऐसी कोई घटना की जानकारी नहीं है जहां किसी भालू को नरभक्षी घोषित किया गया हो।’’

आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच सालों में भालुओं ने 438 लोगों को घायल किया है और गढ़वाल और कुमाऊं दोनों में खासकर ऊंचाई वाले इलाकों में प्रदेश के 38 वन प्रभागों में से 17 भालू के उपद्रव से त्रस्त हैं।

मिश्रा ने कहा कि वन विभाग उम्मीद कर रहा है कि 30 नवंबर तक भालू अपनी गुफाओं में सोने (हाइबरनेशन में) चले जाएंगे और तब स्थिति सामान्य हो जाएगी।

भालुओं की संख्या के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि इनकी गिनती अभी नहीं हुई है और यह काम मुश्किल है। मिश्रा ने कहा कि इस साल अखिल भारतीय स्तर पर बाघों की गणना के लिए कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं, जिसके जरिए भालू समेत सभी शिकारी जानवरों की गिनती हो जाएगी।

भाषा दीप्ति वैभव

वैभव


लेखक के बारे में