Soon India May Face Petrol and diesel crisis due to increase in demand

भारत में जल्द होगी पेट्रोल-डीजल की भारी किल्लत! थम सकते हैं वाहनों के पहिए, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) ने अपनी मंथली रिपोर्ट में कहा कि भारत में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की रोजाना मांग 2021 में 47.7 लाख बैरल थी। इसके 2022 में बढ़कर 51.4 लाख बैरल प्रतिदिन होने का अनुमान है।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:04 PM IST, Published Date : August 18, 2022/12:19 pm IST

Petrol-Diesel Crisis In India: नई दिल्ली। दुनियाभर के दशों में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है। जिससे यह माना जा रहा है कि बहुत जल्द भारत में भी पेट्रोल और डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों की मांग 2022 में 7.73 फीसदी तक बढ़ सकती है। यह दुनिया के किसी भी देश की तुलना में सबसे तेजी से बढ़ने वाला आंकड़ा होगा। तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) ने अपनी मंथली रिपोर्ट में कहा कि भारत में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की रोजाना मांग 2021 में 47.7 लाख बैरल थी। इसके 2022 में बढ़कर 51.4 लाख बैरल प्रतिदिन होने का अनुमान है।       >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

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डिमांड में चीन-अमेरिका भी छूटेंगे पीछे

Petrol-Diesel Crisis In India: चीन में 1.23 फीसदी, अमेरिका में 3.39 फीसदी और यूरोप में 4.62 फीसदी के मुकाबले भारत में तेल की मांग में बढ़ोतरी दुनिया में सबसे तेज गति से होगी। गौरतलब है कि अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है।

क्या है ओपेक की रिपोर्ट में

Petrol-Diesel Crisis In India: ओपेक की रिपोर्ट में कहा गया है कि मानसून के आने के कारण मौजूदा साल की जुलाई-सितंबर तिमाही में तेल की मांग में गिरावट आएगी, लेकिन त्योहार और छुट्टियों के साथ अगली तिमाही में इसमें तेजी आएगी। भारत में औद्योगिक गतिविधियां भी प्री-कोविड स्तर पर लौट आई हैं और इसके असर से देश में ईंधन की मांग और भी ज्यादा तेजी से बढ़ रही है जिसके चलते यहां ज्यादा तेल की सप्लाई करने की जरूरत होगी।

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अभी रूस है सबसे बड़ा सप्लायर

Petrol-Diesel Crisis In India: आंकड़ों के मुताबिक भारत को कच्चे तेल के आयात के मामले में जून में रूस सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता यानी सप्लायर बन गया है। जून में भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 24 फीसदी थी। वहीं इराक की हिस्सेदारी 21 फीसदी और तीसरे नंबर पर 15 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ सऊदी अरब का स्थान रहा।

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