वेब दूरबीन ने पृथ्वी से 40 प्रकाश वर्ष दूर ग्रह के तापमान को मापने में मदद की |

वेब दूरबीन ने पृथ्वी से 40 प्रकाश वर्ष दूर ग्रह के तापमान को मापने में मदद की

वेब दूरबीन ने पृथ्वी से 40 प्रकाश वर्ष दूर ग्रह के तापमान को मापने में मदद की

: , March 28, 2023 / 09:01 PM IST

नयी दिल्ली, 28 मार्च (भाषा) वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से 40 प्रकाश वर्ष दूर एक एम-ड्वार्फ सिस्टम के ग्रह ट्रैपिस्ट-1 बी के तापमान को मापने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) की जेम्स वेब स्पेस दूरबीन (जेडब्ल्यूएसटी) का इस्तेमाल किया।

तापमान 225 डिग्री सेल्सियस के करीब था। वेब दूरबीन, मिड-इन्फ्रारेड इंस्ट्रूमेंट (एमआईआरआई) के इन्फ्रारेड सेंसर द्वारा रिकॉर्ड किए गए ग्रह के थर्मल उत्सर्जन से तापमान का पता लगाया गया।

अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय टीम यह पता लगाने की भी कोशिश कर रही है कि एक्सोप्लैनेट (सौरमंडल के बाहर स्थित ग्रह जो किसी तारे की परिक्रमा करता है) में वायुमंडल है या नहीं। यह अध्ययन ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

अध्ययन के अनुसार, यह निर्धारित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है कि क्या ट्रैपिस्ट-1 प्रणाली में ग्रह जीवन के लिए आवश्यक वायुमंडल को बनाए रख सकते हैं।

ट्रैपिस्ट-1 बी अपने सिस्टम का सबसे भीतरी ग्रह है जिसकी कक्षीय दूरी पृथ्वी की तुलना में सौवीं है और यह अपने तारे से चार गुना ऊर्जा प्राप्त करता है। इस प्रकार, इसके सिस्टम के भीतर रहने योग्य क्षेत्र नहीं है।

ट्रैपिस्ट-1 प्रणाली के अध्ययन टीम में रहीं और फ्रांस में फ्रेंच अल्टरनेटिव इनर्जी एंड एटॉमिक इनर्जी कमिशन (सीईए) से जुड़ीं सह-लेखक एल्सा डुक्रोट ने कहा, ‘‘छोटे, ठंडे तारों के आसपास स्थलीय ग्रहों को चिह्नित करना आसान है। अगर हम एम तारों के आसपास रहने की क्षमता को समझना चाहते हैं, तो ट्रैपिस्ट-1 प्रणाली एक बड़ी प्रयोगशाला है। चट्टानी ग्रहों के वातावरण को देखने के लिए हमारे पास ये सबसे अच्छे लक्ष्य हैं।’’

ट्रैपिस्ट-1बी में वातावरण का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने ग्रह के तापमान को मापा। टीम ने एमआईआरआई का इस्तेमाल करते हुए ग्रह के तारे के पीछे चले जाने पर प्रणाली की चमक में परिवर्तन को मापने के लिए फोटोमेट्री का उपयोग किया।

अध्ययन के सह लेखक और सीईए से जुड़े पियरे-ओलिवियर लैगेज ने कहा, ‘‘यदि इसमें ऊर्जा को परिचालित करने और पुनर्वितरित करने का वातावरण है, तो वातावरण नहीं होने की तुलना में दिन का समय अधिक ठंडा होगा।’’

अध्ययन में शामिल लेखकों ने कहा कि दिन से रात तक तापमान में बदलाव रिकॉर्ड करने से वैज्ञानिकों को यह पुष्टि करने में मदद मिलेगी कि ग्रह पर वायुमंडल है या नहीं।

भाषा आशीष रंजन

रंजन

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)