कोलकाता, तीन अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल की शिक्षिका सोमा दास ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि राज्य सरकार और स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) अयोग्य उम्मीदवारों की कुल संख्या के बारे में न्यायपालिका के समक्ष सटीक विवरण प्रस्तुत करने में विफल रहे।
दास के गंभीर बीमारी से पीड़ित होने के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय ने उनकी नियुक्ति अमान्य घोषित नहीं की।
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल में सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य घोषित करते हुए उनकी चयन प्रक्रिया को “त्रुटिपूर्ण” करार दिया। हालांकि, उसने गंभीर बीमारियों से पीड़ित दास जैसे कर्मचारियों को मानवीय आधार पर छूट दी और कहा कि वे नौकरी में बने रहेंगे।
कैंसर से पीड़ित दास ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए कहा, ‘‘एसएससी और राज्य सरकार के पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय और फिर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान कथित तौर पर अनुचित तरीकों से नौकरी पाने वाले उम्मीदवारों की सही संख्या के बारे में उचित विवरण प्रस्तुत करने में विफल रहने के कारण आज की स्थिति उत्पन्न हुई।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं भी इस मामले की कई सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद थी और मैंने देखा कि किस तरह न्यायाधीशों ने योग्य उम्मीदवारों की नौकरी बचाने की कोशिश की थी।’’
दास ने आरोप लगाया, ‘‘राज्य के प्राधिकारी योग्य उम्मीदवारों का पक्ष समग्र रूप से प्रस्तुत करने में विफल रहे।’’
उन्होंने कहा कि वह उनके मामले को अलग नजरिये से देखने के लिए शीर्ष अदालत की आभारी हैं।
दास ने कहा, ‘‘पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय और अब उच्चतम न्यायालय ने मेरी स्थिति को एक अलग नजरिये से देखा। मैं इसके लिए उनका आभार जताती हूं।’’
हालांकि, उन्होंने कहा, ‘‘मेरी संवेदना उन लोगों के साथ है, जिन्होंने बिना किसी गलती के अपनी नौकरी गंवा दी।’’
भाषा यासिर पारुल
पारुल