India on Ceasefire in Gaza: इजरायल-गाजा मामले से भारत ने खुद को रखा दूर तो भड़की कांग्रेस.. लिखा “फिलिस्तीन हिंसा झेल रहा है.. चुप रहना सही नहीं”..

"आज जब फिलिस्तीन हिंसा, मानवीय पतन और बढ़ती अस्थिरता झेल रहा है, तब भारत का चुप रहना सही नहीं है। मोदी सरकार को भारत के इतिहास को देखते हुए यह आत्मसात करना होगा कि सबसे ऊंची आवाज़ में बोलने वाले देश को दुनिया नहीं सुनती। दुनिया उसे सुनती है- जो पूरे साहस और अंतरात्मा के साथ बोलता है।"

India on Ceasefire in Gaza: इजरायल-गाजा मामले से भारत ने खुद को रखा दूर तो भड़की कांग्रेस..  लिखा “फिलिस्तीन हिंसा झेल रहा है.. चुप रहना सही नहीं”..

What is India's stand on the ceasefire in Gaza || Image- Telegraph India file

Modified Date: June 14, 2025 / 02:39 pm IST
Published Date: June 14, 2025 2:39 pm IST
HIGHLIGHTS
  • भारत ने गाजा संघर्षविराम मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
  • कांग्रेस ने मोदी सरकार की चुप्पी को शर्मनाक बताया।
  • फिलिस्तीन में मानवाधिकार संकट, भारत को बोलना चाहिए था।

What is India’s stand on the ceasefire in Gaza: नई दिल्ली: शनिवार को गाजा में संघर्ष विराम पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान के दौरान भारत के गैर मौजूद रहने के मामले में केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल उठायें है। कांग्रेस ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर पोस्ट लिखकर केंद्र की सरकार पर आरोप लगाए है कि, “इस वक़्त भारत को मजबूती के साथ गाजा में युद्धविराम के पक्ष में खड़ा रहना चाहिए था, लेकिन भारत ने युद्ध, नरसंहार और न्याय के खिलाफ अपने सैद्धांतिक रुख को त्याग दिया।”

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क्या लिखा कांग्रेस ने?

कांग्रेस ने अपने पोस्ट में लिखा, “12 जून, 2025 को संयुक्त राष्ट्र में गाजा युद्धविराम पर भारत का मतदान से दूर रहना बेहद शर्मनाक है। भारत हमेशा से शांति, न्याय और मानव गरिमा के पक्ष में खड़ा रहा है। फिलिस्तीन में 60,000 से ज्यादा जान गंवा चुके हैं, उनमें से ज़्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। हज़ारों लोग भूख से तड़प रहे हैं और मर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय सहायता बंद हो गई है। ये एक मानवीय त्रासदी है। इस वक़्त भारत को मजबूती के साथ गाजा में युद्धविराम के पक्ष में खड़ा रहना चाहिए था, लेकिन भारत ने युद्ध, नरसंहार और न्याय के खिलाफ अपने सैद्धांतिक रुख को त्याग दिया।”

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रणनीतिक नहीं, सैद्धांतिक फैसला

What is India’s stand on the ceasefire in Gaza: कांग्रेस ने आगे लिखा, “भारत ने किसी रणनीति के तहत नहीं, बल्कि सिद्धांत के तौर पर फिलिस्तीन के साथ खड़े होने का चुनाव किया था, लेकिन आज वह गौरवशाली विरासत मलबे में तब्दील हो चुकी है। आज भारत अपने सिद्धांतों को छोड़कर तेल अवीव के आगे झुक गया है। ये वही सिद्धांत थे, जिन्होंने कभी हमें दुनिया के नैतिक मूल्यों का दिशा देने वाला बनाया था। यह याद रखना होगा कि वैश्विक नेतृत्व चुप्पी पर नहीं बनता। अगर हम चाहते हैं कि भारत की आवाज वैश्विक मंच पर मायने रखे, तो सबसे बड़ी बात होगी कि हम साहस के साथ अन्याय के खिलाफ खड़े रहें।”

उन्होंने लिखा, “आज जब फिलिस्तीन हिंसा, मानवीय पतन और बढ़ती अस्थिरता झेल रहा है, तब भारत का चुप रहना सही नहीं है। मोदी सरकार को भारत के इतिहास को देखते हुए यह आत्मसात करना होगा कि सबसे ऊंची आवाज़ में बोलने वाले देश को दुनिया नहीं सुनती। दुनिया उसे सुनती है- जो पूरे साहस और अंतरात्मा के साथ बोलता है।”

भारत ने किया परहेज, नहीं लिया मतदान में हिस्सा

गौरतलब है कि, संयुक्त राष्ट्र महासभा में गाजा में ‘‘तत्काल, बिना शर्त और स्थायी’’ युद्धविराम की मांग वाले मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से भारत ने परहेज किया है।

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संयुक्त राष्ट्र महासभा में स्पेन द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव पर मतदान हुआ। इस प्रस्ताव में तत्काल, बिना शर्त तथा स्थायी युद्धविराम और हमास तथा अन्य समूहों द्वारा बंधक बनाए गए सभी लोगों की तत्काल तथा बिना शर्त रिहाई की मांग की गई। भारत समेत 19 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया, जबकि 12 देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया और पक्ष में 149 वोट पड़े।

‘नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी एवं मानवीय दायित्वों को कायम रखना’ शीर्षक वाले प्रस्ताव पर मतदान की व्याख्या में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि यह प्रस्ताव गाजा में बिगड़ती मानवीय स्थिति की पृष्ठभूमि में लाया गया है।

उन्होंने कहा कि भारत गहराते मानवीय संकट से बहुत चिंतित है और नागरिकों की मौत की घटना की निंदा करता है। हरीश ने कहा कि भारत पहले भी इजराइल-फलस्तीन मुद्दे पर प्रस्तावों से दूर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘आज मानना है कि संघर्षों को बातचीत और कूटनीति से ही हल किया जा सकता है। दोनों पक्षों को करीब लाने के लिए एक संयुक्त प्रयास किया जाना चाहिए। इन कारणों से हम इस प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहेंगे।’’

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प्रस्ताव में मांग की गई कि इजराइल तुरंत नाकाबंदी खत्म करे, सभी सीमा पार मार्ग खोले और यह सुनिश्चित करे कि अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवीय सिद्धांतों के तहत दायित्वों के अनुरूप गाजा पट्टी में फलस्तीनी नागरिकों तक तुरंत और बड़े पैमाने पर सहायता पहुंचाई जाए।

 


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

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