जब सेक्स वर्कर को है ना कहने का अधिकार, तो पत्नी को क्यों नहीं? हाईकोर्ट का गंभीर सवाल | When the sex worker has the right to say no, then why not the wife? High Court's serious question

जब सेक्स वर्कर को है ना कहने का अधिकार, तो पत्नी को क्यों नहीं? हाईकोर्ट का गंभीर सवाल

दिल्ली हाईकोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार पर याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई करते हुए कई गंभीर कमेंट किया है। कोर्ट ने कहा कि जब सेक्स वर्कर को सेक्स के लिए मना करने का अधिकार है तो पत्नी क्यों नहीं मना कर सकती।

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:02 PM IST, Published Date : January 14, 2022/12:59 pm IST

sex worker right to say no

नईदिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार पर याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई करते हुए कई गंभीर कमेंट किया है। कोर्ट ने कहा कि जब सेक्स वर्कर को सेक्स के लिए मना करने का अधिकार है तो पत्नी क्यों नहीं मना कर सकती। न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार) के तहत दिए गए अपवाद को हटाने संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।

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न्यायमूर्ति शकधर ने कहा कि बलात्कार कानून एक यौनकर्मी के साथ जबरन संभोग के मामले में कोई छूट नहीं देता है। उन्होंने कहा, ‘हमारी अदालतें यहां तक ​​कह चुकी हैं कि वह किसी भी स्तर पर ना कह सकती हैं। ऐसे में क्या किसी पत्नी को इससे निचले स्तर पर रखा जा सकता है?”

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न्याय मित्र राज शेखर राव ने कहा कि एक विवाहित महिला को गैर-सहमति से संबंध बनाने के खिलाफ कम सुरक्षा देने का कोई कारण नहीं बनता है। उन्होंने पीठ को यह भी बताया कि उन्हें विभिन्न तबकों से सुझाव मिले हैं। हालांकि, जस्टिस शंकर ने कहा कि वैवाहिक संबंध के मामले में सेक्स एक सेक्स वर्कर की तरह नहीं है।

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न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अधिकांश तर्क कानून के बजाय आक्रोश पर थे और राव को कानूनी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा। उन्होंने कहा, “हम एक अदालत हैं। हमें केवल पत्नियों का गुस्सा और दुर्दशा दिखाकर इसे कम नहीं करना चाहिए, बल्कि हमें कानूनी पहलुओं को भी देखना होगा।”

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इस बीच केंद्र ने गुरुवार को उच्च न्यायालय को बताया कि वह वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के मुद्दे पर एक रचनात्मक दृष्टिकोण पर विचार कर रहा है। केंद्र ने राज्य सरकारों, भारत के मुख्य न्यायाधीश, सांसदों और अन्य से पूरे आपराधिक कानून में व्यापक संशोधन पर सुझाव मांगे हैं।

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