Who will get citizenship under CAA?: CAA में किसे मिलेगी नागरिकता? जानें शरनार्थियों के लिए क्या है ‘लाइफ लाइन’ कानून

Who will get citizenship under CAA?: CAA में किसे मिलेगी नागरिकता? जानें शरनार्थियों के लिए क्या है ‘लाइफ लाइन’ कानून

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  • Publish Date - March 11, 2024 / 07:21 PM IST,
    Updated On - March 11, 2024 / 07:21 PM IST

नई दिल्ली: Who will get citizenship under CAA? लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। लेकिन ठीक इससे पहले केंद्र सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। मोदी सरकार ने नागरिक संशोधन कानून यानी CAA को लागू कर दिया है। इसके तहत अब तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। अब से सीएए के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाएगा।

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Who will get citizenship under CAA? देश में CAA लागू होने के बाद अब हर तरफ कोहराम मचा हुआ है। अब सवाल ये है कि नागरिकता के लिए कौन आवेदन कर सकेगा? और किस इस ये अधिकार दिया जाएगा। तो चलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि CAA के लिए कौन कर सकता है आवेदन और किसे मिलेगा अधिकार।

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नागरिकता के लिए कौन आवेदन कर सकेगा?

दरअसल, नागरिकता संशोधन बिल पहली बार साल 2016 के लोकसभा चुनाव के दौरान पेश किया गया था। पास होने के बाद राज्यसभा में अटका हुआ था। दोबारा चुनाव के बाद नई सरकार बनी, इसलिए दिसंबर 2019 में इसे लोकसभा में फिर पेश किया गया। इस बार ये बिल लोकसभा और राज्यसभा, दोनों जगह से पास हो गया।

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नागरिकता संशोधन कानून के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। कानून के मुताबिक, जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले आकर भारत में बस गए थे, उन्हें ही नागरिकता दी जाएगी।

इन लोगों को मिलेगा अधिकार

नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू होने के सरकार देश के शरणार्थियां को नागरिकता देगी। इसका लाभ अफगानिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए वे अल्पसंख्यक जो 31 दिसंबर 2014 से पहले से भारत में बसे हैं उन्हें मिलेगा। ये शरणार्थी भारत में पासपोर्ट और वीजा के साथ आए थे।

सरकार ने दिया था ये तर्क

सीएए में मुस्लिमों को शामिल नहीं करने पर बवाल हुआ था तो गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि ये कानून उन शरणार्थियों के लिए है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के नाम पर उत्पीड़ित हो रहे थे। इसलिए इस कानून में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है।

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