नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय में बुधवार को उस समय नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला जब एक महिला वकील ने पीठ के निर्देश के बावजूद एक गैर-सूचीबद्ध मामले को लगातार उठाकर कार्यवाही में बाधा डाली, बाद में उन्हें प्रधान न्यायाधीश के न्यायालय कक्ष से बाहर निकाला गया।
यह घटना उस समय हुई जब वकील ने प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां तथा न्यायमूर्ति एन.के. सिंह की पीठ के समक्ष ऐसे मामले का जिक्र किया जो सूचीबद्ध नहीं था।
वकील ने आरोप लगाया कि जब वह मुंबई में थीं तब उनकी करीबी दोस्त की दिल्ली के एक गेस्ट हाउस में हत्या कर दी गई। उन्होंने दावा किया कि जिस पुलिस अधिकारी ने शुरू में प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया था, उसे अब मामले में जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है।
जब प्रधान न्यायाधीश ने उन्हें उचित प्रक्रिया का पालन करने और उचित याचिका दायर करने की सलाह दी तो वकील ने कहा, ‘‘ मैं अवसाद में हूं, मैं ऐसा करूंगी’’ लेकिन उन्होंने जाने से इनकार कर दिया।
पीठ ने उपस्थित एक वकील से मामला दायर करने में उनकी सहायता करने को कहा लेकिन अन्य मामले की सुनवाई शुरू होने तक महिला वकील अपनी दलीलें देती रहीं।
मामला तब और बिगड़ गया जब महिला कोर्ट मार्शलों ने उसे हटाने का प्रयास किया। महिला अधिवक्ता ‘‘दुर्व्यवहार मत करो, मुझे मत छुओ’’ चिल्लाने लगी।
न्यायमूर्ति भुइयां के हस्तक्षेप और एक साथी वकील द्वारा शिष्टाचार बनाए रखने की सलाह के बावजूद, महिला वकील अड़ी रहीं और उन्होंने कहा कि वह अपनी सुरक्षा की बात ‘‘इस अदालत के कानों तक पहुंचाना चाहती हैं।’’
महिला वकील जिस वक्त चिल्ला रही थीं तब अदालत की कार्यवाही की ‘ऑनलाइन स्ट्रीमिंग’ को कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया और अंततः उन्हें अदालत कक्ष से बाहर ले जाया गया।
भाषा शोभना प्रशांत
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