बिना सिलिकॉन के दुनिया के पहले कंप्यूटर का हुआ निर्माण :अनुसंधानकर्ता

बिना सिलिकॉन के दुनिया के पहले कंप्यूटर का हुआ निर्माण :अनुसंधानकर्ता

बिना सिलिकॉन के दुनिया के पहले कंप्यूटर का हुआ निर्माण :अनुसंधानकर्ता
Modified Date: June 29, 2025 / 08:45 pm IST
Published Date: June 29, 2025 8:45 pm IST

(कृष्णा)

नयी दिल्ली, 29 जून (भाषा) अनुसंधानकर्ताओं ने सिलिकॉन के बिना ही कम्प्यूटर का निर्माण किया है, जो एक ‘मील का पत्थर है ।

यह दर्शाता है कि जिस सामग्री से यह कंप्यूटर बनाया गया है उससे एक दिन उपकरणों को लघुतम और तीव्र बनाकर सिलिकॉन को प्रतिस्थापित करना संभव होगा जिसने पिछली आधी सदी में प्रौद्योगिकी प्रगति को गति दी है।

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दुनिया के पहले सीएमओएस नामक इस कंप्यूटर को अमेरिका में ‘पेनसिल्वानिया स्टेट यूनिवर्सिटी’ के ‘नैनोफैब्रिकेशन यूनिट’ में बनाया गया है और अनुसंधान दल ने इसके सफल संचालन का प्रदर्शन भी किया है।

इसे दो-आयामी सामग्रियों का उपयोग करके बनाया गया है, जो कागज़ की तरह पतले हैं, लेकिन नैनो-स्तर पर हैं। ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित एक शोधपत्र में इसका वर्णन किया गया है।

‘पूरक धातु-ऑक्साइड-अर्धचालक’ या सीएमओएस का इलेक्ट्रॉनिक सर्किट डिजाइन करने में व्यापक रूप से उपयोग किया गया है। यह कम बिजली की खपत करता है और अधिक घटकों को समायोजित करता है।

इस विकास को न केवल सिलिकॉन के विकल्प बनाने में एक अग्रणी और प्रारंभिक बिंदु माना जा रहा है, बल्कि यह और भी छोटे, अधिक लचीले इलेक्ट्रॉनिक्स की एक नई पीढ़ी के लिए एक रोडमैप भी है।

पेनसिल्वानिया स्टेट यूनिवर्सिटी (पेन स्टेट) में इंजीनियरिंग विज्ञान और यांत्रिकी के प्रोफेसर और अनुसंधान के प्रमुख अनुसंधानकर्ता सप्तर्षि दास ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘अल्पावधि में, आप इन दो-आयामी (2डी) सामग्रियों के साथ सिलिकॉन को बढ़ाना चाहेंगे, क्योंकि वे सेंसर और मेमोरी डिवाइस समेत नई कार्यक्षमताएं प्रदान करते हैं।’’

दास ने कहा, ‘‘यही कारण है कि हमारा अनुसंधान, मैं कहूंगा, एक मील का पत्थर है, क्योंकि यह दर्शाता है कि एक दिन सिलिकॉन को बदलना संभव है।’’

विद्युत प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए सिलिकॉन की चालकता में जरूरी फेरबदल किया जा सकता है, इसलिए 1947 से यह इलेक्ट्रॉनिक्स को आकार में छोटा करने में मदद पहुंचाकर प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने में आधारभूत भूमिका निभा रहा है। सन् 1947 में पहली बार इस पदार्थ का उपयोग करके ट्रांजिस्टर बनाया गया था।

लेकिन अब, लगभग सात दशक बाद, जैसे-जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण छोटे होते जा रहे हैं, सिलिकॉन का आगे का मार्ग अवरूद्ध हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर उपकरण छोटे होते गए तो यह उतना अच्छा काम नहीं कर पाएगा।

दास ने कहा, ‘‘सिलिकॉन का प्रक्षेप पथ रुक गया है।’’

पेन स्टेट में शोधार्थी और अनुसंधान के प्रमुख लेखक सुबीर घोष बताते हैं, ‘‘हमने अपने अर्धचालक उपकरणों को बनाने के लिए मोलिब्डेनम डाइसल्फ़ाइड और टंगस्टन डाइसेलेनाइड का उपयोग किया है – दोनों टूडी सामग्री समुदाय में काफी आम हैं।’’

भाषा

राजकुमार रंजन

रंजन


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