कर्म को कुशलतापूर्वक करना ही योग है : मुरली मनोहर जोशी

कर्म को कुशलतापूर्वक करना ही योग है : मुरली मनोहर जोशी

कर्म को कुशलतापूर्वक करना ही योग है : मुरली मनोहर जोशी
Modified Date: December 17, 2025 / 05:05 pm IST
Published Date: December 17, 2025 5:05 pm IST

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) पद्म विभूषण से सम्मानित पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि ऐसे समय में जब सिद्धांत, व्यवहार और प्रयोग पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं तो कर्म का कुशलतापूर्वक निर्वहन ही योग है, हालांकि उस योग के जरिए उद्देश्य की प्राप्ति पर अहंकार का भाव नहीं होना चाहिए।

डा.जोशी ने मंगलवार शाम को यहां पुस्तक “द अनबिकमिंग’ के विमोचन समारोह में यह बात कही।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लेखक कार्तिकेय वाजपेयी ने ‘द अनबिकमिंग’ में क्रिकेट के प्रतीकों के माध्यम से एक महत्वपूर्ण समस्या का समाधान प्रस्तुत किया है।

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उन्होंने विस्तार में जाए बिना कहा कि ऐसे समय में जब सिद्धांत, व्यवहार और प्रयोग पर प्रश्नचिन्ह लगे हैं तो कर्म का कुशलतापूर्वक निर्वहन ही योग है, लेकिन उस योग के जरिए उद्देश्य की प्राप्ति पर अहंकार का भाव नहीं होना चाहिए।

डा.जोशी ने इसी क्रम में कहा कि अहंकार शून्य होना ही साधना है।

पुस्तक की प्रस्तावना तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा और भूमिका स्वामी सर्वप्रियानंद ने लिखी है।

इस अवसर पर पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी उपस्थित थे।

पद्म विभूषण से सम्मानित, दार्शनिक और राजनेता डॉ. कर्ण सिंह ने उपन्यास के विषयों और भारत की दार्शनिक परंपरा के बीच निरंतरता को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा, “लोग अक्सर पूछते हैं कि सार्वजनिक जीवन और आध्यात्मिक जीवन को कैसे जोड़ा जा सकता है? पिछले 75 वर्षों के मेरे अनुभव के आधार पर यह पूरी तरह संभव है-बशर्ते व्यक्ति की भीतर के आत्मबोध और सार्वजनिक जीवन-दोनों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता हो।”

उन्होंने कहा कि यह पुस्तक बाहरी जीवन और आंतरिक साधना के सामंजस्य को प्रतिबिंबित करती है।

लेखक कार्तिकेय वाजपेयी ने कहा,“द अनबिकमिंग’ इस विचार पर आधारित है कि हमारे अधिकांश दुःख का कारण उन पहचानों से चिपके रहना है, जो भय और अपेक्षाओं से गढ़ी जाती हैं।”

डॉ. कर्ण सिंह और डॉ. मुरली मनोहर जोशी के अलावा धर्मगुरु आचार्य पुंडरिक महाराज तथा तिब्बत केंद्र के निदेशक गेशे दोरजी दामदुल ने भी पुस्तक की पृष्ठभूमि में अस्तित्व, आंतरिक स्पष्टता और जीवन के उद्देश्यों पर चर्चा की।

पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित ‘द अनबिकमिंग’ प्रसिद्ध

क्रिकेटर सिद्धार्थ और उनके जीवन-मार्ग को दिशा देने वाले अनुभवी कोच अजय के बीच विकसित होते संबंध को केंद्र में रखती है।

कार्तिकेय वाजपेयी एक अनुभवी वकील हैं और साथ ही ध्यान, क्रिया योग, बौद्ध दर्शन तथा अद्वैत वेदांत के अध्ययन में उनकी गहरी रुचि रही

है।

पुस्तक विमोचन का आयोजन प्रभा खैतान फाउंडेशन द्वारा किया गया।

भाषा नरेश पवनेश

पवनेश


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