Diwali 2022 : दिवाली पर मां लक्ष्मी के साथ नहीं होती भगवान विष्णु की पूजा, आखिर क्या है कारण?…जानें

Diwali 2022 : दीपावली के पर्व पर धन की देवी मां लक्ष्मी, ऋद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश और धन के देवता भगवान कुबेर की घर-घर पूजा होती है।

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  • Publish Date - October 22, 2022 / 04:06 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 04:05 AM IST

Diwali 2022 : दिवाली प्रकाश का पर्व, बुराई पर अच्छी की जीत का पर्व है। दिवाली का पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्य तिथि को मनाया जाता है। दिवाली के मौके पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी पूजा की जाती है। दिवाली के दिन अपने जीवन में सुख समृद्धि बनाए रखने के लिए अपने घर, दुकान, ऑफिस आदि में मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करनी चाहिए। मां लक्ष्मी की विशेष कृपा पाने के लिए उनकी पूजा पूरे विधि विधान के साथ करनी चाहिए।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

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Diwali 2022 : हिंदू धर्म में सभी देवताओं के पूजा का विशेष दिन होता है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजन का विधान है। इस दिन मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि दिवाली की रात मां लक्ष्मी की विशेष उपासना से सालभर सुख-समृद्धि और धन की कमी नहीं होती है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान श्रीगणेश और भगवान कुबेर की पूजा का भी विधान है। लेकिन, इस दिन मां लक्ष्मी जी के साथ भगवान विष्णु की पूजा नहीं की जाती है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है।

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मां सरस्वती और माता काली की उपासना

Diwali 2022 : दीपावली के पर्व पर धन की देवी मां लक्ष्मी, ऋद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश और धन के देवता भगवान कुबेर की घर-घर पूजा होती है। इनके अलावा इस दिन मां सरस्वती और माता काली की उपासना भी की जाती है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की आराधना से धन का भंडार भरा रहता है और घर में सुख-शांति और समृद्धि छाई रहती है। दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा से जीवन सुखमय बना रहता है। आइए जानते हैं आखिर दिवाली पर क्यों माता लक्ष्मी के साथ श्रीहरि की पूजा नहीं की जाती है।

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भगवान विष्णु की पूजा क्यों नहीं होती

Diwali 2022 : पौराणिक कथाओं के अनुसार, दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान श्रीहरि की पूजा नहीं की जाती है। इसके पीछे तर्क है कि दिवाली का त्योहार चातुर्मास के बीच आता है और चातुर्मास में भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन रहते हैं। इस वजह से भगवान विष्णु किसी धार्मिक कार्य में उपस्थित नहीं होते हैं, इसलिए दिवाली पर मां लक्ष्मी बगैर भगवान श्रहरि के घर-घर पधारती और कृपा बरसाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं, तब मां लक्ष्मी और भगवान श्रीहरि की एकसाथ पूजा की जाती है।

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