Allahabad High Court reprimanded the makers of 'Adipurush'

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ‘आदिपुरुष’ के मेकर्स को लगाई फटकार, बोले -हर बार हिंदुओं की सहनशीलता की परीक्षा क्यों

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ‘आदिपुरुष’ के मेकर्स को लगाई फटकार : Allahabad High Court reprimanded the makers of 'Adipurush'

Edited By :   Modified Date:  June 27, 2023 / 09:55 PM IST, Published Date : June 27, 2023/9:35 pm IST

लखनऊ । इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने विवादास्पद फिल्म ‘आदिपुरुष’ में जिस तरह से महाकाव्य रामायण के प्रमुख पात्रों को चित्रित किया गया है, उस पर मंगलवार को गंभीर चिंता व्यक्त की। अदालत ने कहा, ‘‘ हिंदू सहिष्णु हैं लेकिन हर बार उनकी ही परीक्षा क्यों ली जाती है।’’ पीठ ने इस दलील को मानने से इनकार कर दिया कि फिल्म के ‘डिस्क्लेमर’(घोषणा) में कहा गया था कि यह फिल्म रामायण नहीं है।न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की पीठ ने कहा, ‘‘जब फिल्मकार ने भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण और लंका दिखाया है तो डिसक्लेमर से कैसे लोगों को संतुष्ट करेंगे कि कहानी रामायण से नहीं ली गई है। खंडपीठ ने मामले को बुधवार को पुनः सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश देते हुए, डिप्टी सॉलिसिटर जनरल को केंद्र सरकार व सेंसर बोर्ड से निर्देश प्राप्त कर यह अवगत कराने को कहा है कि मामले में वे क्या कार्रवाई कर सकते हैं। अदालत ने मौखिक टिप्पणी में कहा, ‘‘हिंदू सहिष्णु हैं लेकिन क्यों हर बार उनकी सहनशीलता की परीक्षा ली जाती है, वे सभ्य हैं तो उन्हें दबाना सही है क्या? ’’

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पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री का तर्क सुनने के बाद मौखिक टिप्पणी की, जिस तरह से फिल्म बनाई गई है, ‘‘ यह न केवल उन लोगों की भावनाओं को आहत करेगी जो भगवान राम, देवी सीता, भगवान हनुमान आदि की आराधना करते हैं बल्कि रामायण के पात्रों को जिस तरह से चित्रित किया है उससे समाज में वैमनस्य भी पैदा हो सकता है।’’ अदालत ने कहा कि ‘‘यह तो अच्छा है कि वर्तमान विवाद एक ऐसे धर्म के बारे में है जिसे मानने वालों ने कहीं लोक व्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचाया। हमें उनका आभारी होना चाहिए, कुछ लोग सिनेमाघर बंद कराने गए थे लेकिन उन्होंने भी सिर्फ हॉल बंद करवाया, वे और भी कुछ कर सकते थे। इन टिप्पणियों के साथ खंडपीठ ने फिल्म के संवाद लेखक मनोज मुंतशिर उर्फ मनोज शुक्ला को मामले में प्रतिवादी संख्या 15 बनाए जाने सम्बंधी प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए, उन्हें नोटिस जारी करने का आदेश दिया है।

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खंडपीठ ने नवीन धवन एवं कुलदीप तिवारी की जनहित याचिकाओं पर यह आदेश पारित किया। कुलदीप तिवारी की याचिका में फिल्म के तमाम आपत्तिजनक दृश्यों व संवादों का हवाला देते हुए, उसके प्रदर्शन पर रोक लगाने का अनुरोध किया है है जबकि नवीन धवन की ओर से प्रदर्शन पर रोक के साथ-साथ फिल्म को सेंसर बोर्ड द्वारा जारी प्रमाण पत्र निरस्त किए जाने का अनुरोध किया है। बहस के दौरान याचियों के अधिवक्ताओं की दलील थी कि सिनेमेटोग्राफी एक्ट-1952 के प्रावधानों तथा उक्त कानून के तहत बनाई गए दिशानिर्देश का कोई पालन सेंसर बोर्ड द्वारा नहीं किया गया।

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