यहां के मुस्लिम कारीगर 400 साल पुरानी परपंरा से बना रहे ये खास गुलाल, मंदिरों से लेकर होली पार्टियों में होती है डिमांड

Muslim artisans are following Jaipur's 'Gulal Gota' tradition गुलाल गोटा का इस्तेमाल 400 साल पहले जयपुर के शाही राजघराने ने किया

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  • Publish Date - February 27, 2023 / 02:15 PM IST,
    Updated On - February 27, 2023 / 02:15 PM IST

Jaipur’s ‘Gulal Gota’ tradition: जयपुर। रंग भरा होली का त्यौहार कुछ ही दिनों में दस्तक देने वाला है। इस साल होली का त्योहार आठ मार्च को मनाया जाएगा। इससे पहले बाजार गुजिया, गुलाल, पिचकारी और दूसरे रंगों से सज गया है। होली में इस बार जयपुर के गुलाल गोटा की मांग बेहद बढ़ गई है। प्राकृतिक रंगों से भरे छोटे गोले आकार के गेंदों को गुलाल गोटा कहा जाता है।

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ये राजस्थान की राजधानी जयपुर में बनाया जाता है। कुछ मुस्लिम परिवार की कई पीढ़ियां इस गुलाल को बना रही है। गुलाल गोटा का इस्तेमाल 400 साल पहले जयपुर के शाही राजघराने ने किया था।

कृत्रिम रंगों की तुलना में गुलाल गोटा हानिकारिक नहीं

जयपुर के कलाकारों और गुलाल गोटा बनाने वालों का कहना है कि इस साल गुलाल गोटा की मांग काफी ज्यादा बढ़ गई है। पानी के गुब्बारों और कृत्रिम रंगों की तुलना में गुलाल गोटा हानिकारिक नहीं होता है। गुलाल बनाने वाले अवाज मोहम्मद ने कहा कि इस बार काफी ज्यादा डिमांड बढ़ने के कारण होली से दो महीने पहले से ही कारिगरों ने इसे बनाना शुरू कर दिया है।

गुलाल गोटा होता है कुछ ख़ास

गुलाल गोटा की खास बात है कि ये बेहद पतले और नाजुक होते हैं। कोई भी इसे अपने हाथ से तोड़ सकता है। पहले राजपरिवार होली के समारोह में गुलाल गोटा को जरूर शामिल करते थे।

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Jaipur’s ‘Gulal Gota’ tradition: राजस्थान की लोक कथाओं के अनुसार जयपुर के राज परिवार के सदस्य अपनी रियासत में घूमते थे और जो पास से गुजरता था उस पर गुलाल गोटा फेंकते थे। गुलाल गोटा का देश के कई मंदिरों खासकर गोविंग देवीजी मंदिर जयपुर और मथुरा, वृंदावन में भी काफी इस्तेमाल होता है।

 

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