Ramadan 2023 Kab Se Hai

Ramadan 2023 : रमजान क्यों मनाया जाता है, कब हुई थी रोजा रखने की शुरुआत…

Edited By :   Modified Date:  March 21, 2023 / 10:10 PM IST, Published Date : March 21, 2023/10:10 pm IST

नई दिल्ली । Ramadan 2023 Kab Se Hai रमजान का पाक महीना जल्द शुरु होने वाला है। इस्लामिक कैलेंडर की मानें तो रमजान 29 या 30 दिन तक चलते हैं और ये इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है। माना जाता है कि मुस्लिम समाज में माहे शाबान के खत्म होने पर जब चांद नजर आता है तो अगले दिन से रमजान का पाक महीना शुरु हो जाता है। रमजान को मक्का, सऊदी अरब (या खगोलीय गणना द्वारा पूर्व निर्धारित तिथि पर) पर वर्धमान चंद्रमा के पहले पालन पर शुरू करने के लिए कहा जाता है। इस वजह से, प्रारंभ और समाप्ति दिनांक निर्धारित नहीं हैं और एक दिन के हिसाब से भिन्न हो सकते हैं।

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इस साल अगर शाबान का महीना 29 दिनों का हुआ तो पहला रोजा 22 मार्च को रखा जाएगा। लेकिन अगर 22 मार्च को चांद नहीं दिखा तो रमजान 23 मार्च से शुरु होंगे और पहला रोजा 23 मार्च को रखा जाएगा। इस बात पर मुहर 21 मार्च को ही लगेगी की रमजान का महीना कौन सी तारीख से शुरु होगा।

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Ramadan 2023 Kab Se Hai रमजान का महिना 29 या 30 दिन का होता है। इस महीने में मुस्लिम समाज के लोग इबादत करते हैं और रात में तरावीह की नमाज के साथ कुरआन शरीफ भी पढ़ते हैं। रमजान के समय रोजा रखना हर मुसलमान का फर्ज है।इस महीने में जकात का विशेष महत्व है. जकात का मतलब है अपनी बचत का कुछ हिस्सा जरुरतमंद लोगों में बांटना। रोजा 23 मार्च को रखने की उम्मीद है। ऐसे में भारत में पहला रोजा 24 मार्च को होने की उम्मीद की जा रही है। हालांकि 22 मार्च को भारत में शाबान की 29 तारीख होगी और यहां भी चांद देखा जाएगा। अगर भारत में चांद 22 मार्च को दिखाई देता है तो 23 मार्च को पहला रोजा रखा जाएगा।

कब हुई थी रोजा रखने की शुरुआत…

Ramadan 2023 Kab Se Hai मौलाना रजियुल इस्लाम नदवी इस्लामी के मुताबिक इस्लाम में रोजा रखने की परंपरा दूसरी हिजरी में शुरू हुई है। कुरान की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में साफ तौर पर कहा गया है कि रोजा तुम पर उसी तरह से फर्ज किया जाता है जैसे तुमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था। मुहम्मद साहब मक्के से हिजरत (प्रवासन) कर मदीना पहुंचने के एक साल के बाद मुसलमानों को रोजा रखने का हुक्म आया. इस तरह से दूसरी हिजरी में रोजा रखने की परंपरा इस्लाम में शुरू हुई। हालांकि, दुनिया के तमाम धर्मों में रोजा रखने की अपना परंपरा है. ईसाई, यहूदी और हिंदू समुदाय में अपने-अपने तरीके से रोजा (उपवास) रखे जाते हैं।

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