IBC24 News Mind Summit: नई उद्योग नीति से कितने स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार? सीएम साय का ये जवाब सुनकर हो जाएंगे गदगद
नई उद्योग नीति से कितने स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार? IBC24 News Mind Summit: How many local people will get employment from the new industrial policy
रायपुरः IBC24 News Mind Summit छत्तीसगढ़ में साय सरकार ने आज अपने कार्यकाल के दो साल पूरे कर लिए हैं। इन दो वर्षों में सरकार ने किन चुनौतियों का सामना किया, अपने चुनावी वादों को किस हद तक जमीन पर उतारा और शासन–प्रशासन के स्तर पर क्या ठोस बदलाव किए? इन्हीं अहम सवालों के जवाब तलाशने के लिए IBC24 ने ‘माइंड समिट 2025’ स्टूडियो एडिशन का आयोजन किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी शामिल हुए। उन्होंने कई मुद्दों को सवालों के जवाब दिए और अपनी बात रखी।
IBC24 News Mind Summit नई उद्योग नीति में स्थानीय लोगों के रोजगार को लेकर मुख्यमंत्री साय ने कहा कि नई उद्योग नीति में बस्तर और सरगुजा संभाग पर विशेष फोकस किया गया है। यदि हमारे एसटी-एससी वर्ग का कोई व्यक्ति उद्यमी बनना चाहता है, तो नई उद्योग नीति में उसे एक रुपये प्रति एकड़ की दर से जमीन देने का भी प्रावधान किया गया है। साथ ही, जगह-जगह उद्योगों के लिए भूमि चिन्हित की जा रही है। उदाहरण के तौर पर, बस्तर में नगरनार स्टील प्लांट के पास ही नियानार क्षेत्र में 118 एकड़ भूमि को औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस नीति के तहत एसटी-एससी वर्ग, आत्मसमर्पित नक्सलियों और महिलाओं को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है।
बस्तर में उपलब्ध वन उपज का भी मूल्य संवर्धन (वैल्यू एडिशन) कर लोगों को रोजगार से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। पहले महुआ का उपयोग केवल रस के रूप में किया जाता था, लेकिन अब जशपुर में ‘जशप्योर’ ब्रांड के तहत महुआ से लड्डू, अचार और कैंडी बनाए जा रहे हैं, जिन्हें निर्यात भी किया जा रहा है। इसी तरह बस्तर में इमली जैसी वन उपज का भी मूल्य संवर्धन कर रोजगार के अवसर पैदा किए जा रहे हैं। इसके अलावा, पशुपालन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। जैसा कि पहले बताया गया है, एनडीबी के साथ इस संबंध में समझौता किया गया है। इस वर्ष के बजट में मत्स्य पालन, कुक्कुट पालन और सूअर पालन के लिए विशेष बजट का प्रावधान किया गया है। खेती को आगे बढ़ाने के लिए सिंचाई के साधनों का भी विस्तार किया जा रहा है। विभाग के अनुसार, लगभग 1500 ऐसी योजनाएं हैं, जिन्हें दुरुस्त करने से 76,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का रकबा बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए 2800 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।

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