IBC24 Mind Summit Breaking:’अस्पतालों में नहीं है सुविधाएं.. की जा रही आउटसोर्सिंग’..पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कह दी ये बड़ी बात
टी.एस. सिंह देव ने IBC24 के माइंड समिट में कहा मेरे लिए सबसे बुरा शब्द आउटसोर्सिंग है, क्योंकि इसका मतलब है कि सरकार यह मान रही है कि वह जनता के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी खुद नहीं उठा सकती।
IBC24 Mind Summit Breaking / Image Source : IBC24
- टी.एस. सिंह देव ने स्वास्थ्य सेवाओं की आउटसोर्सिंग को बताया सबसे बुरा शब्द।
- हमर क्लीनिक में संसाधन कम, सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाएँ कमजोर।
- टी.एस. सिंह देव कहा आउटसोर्सिंग मतलब सरकार जनता के इलाज की जिम्मेदारी छोड़ रही है।
रायपुर: छत्तीसगढ़ में साय सरकार ने आज अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरे कर लिए हैं। इन दो वर्षों में सरकार ने किन चुनौतियों का सामना किया, अपने चुनावी वादों को किस हद तक ज़मीन पर उतारा और शासन–प्रशासन के स्तर पर क्या ठोस बदलाव किए—इन्हीं अहम सवालों के जवाब तलाशने के लिए IBC24 ने ‘माइंड समिट 2025’ स्टूडियो एडिशन का आयोजन किया।
इस विशेष समिट में अलग-अलग सत्रों में छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रियों से उनके दो वर्षों के अनुभव, मंत्रालय की प्रमुख उपलब्धियाँ और आने वाले तीन वर्षों के लिए तैयार किए गए रोडमैप पर चर्चा की गई। वहीं, विपक्ष के नेताओं से भी सरकार के कार्यकाल को लेकर सवाल-जवाब हुए IBC24 के माइंड समिट के मंच पर पहुँचे कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंह देव ने स्वास्थ्य विभाग से अपने लंबे जुड़ाव का ज़िक्र करते हुए बताया कि हमर क्लीनिक जैसी योजनाएँ पिछली सरकार में स्थापित की गई थीं। दुख की बात यह है कि आज पता चल रहा है कि वहाँ आवश्यक सामग्री उपलब्ध नहीं है, काम लगभग बंद है और आउटसोर्सिंग की जा रही है।
मेरे लिए सबसे बुरा शब्द आउटसोर्सिंग : टी.एस. सिंह देव
उन्होंने कहा, “मेरे लिए सबसे बुरा शब्द आउटसोर्सिंग है, क्योंकि आउटसोर्सिंग का मतलब है कि सरकार यह स्वीकार कर रही है कि हम नहीं कर सकते। मेरे पिताजी भी आईएएस अधिकारी थे। उन्हें स्मरण करते हुए मैं यह कह रहा हूँ कि आउटसोर्सिंग का मतलब है कि अधिकारी कह रहे हैं हम नहीं कर सकते। सिंह देव ने कहा कि उनके लिए “सबसे बुरा शब्द आउटसोर्सिंग” है, क्योंकि इसका अर्थ है कि सरकार जनता के स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी खुद उठाने में असमर्थ हो रही है। यूनिवर्सल हेल्थ केयर, आयुष्मान योजना और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब इलाज और व्यवस्थाएँ बाहर सौंपी जाती हैं, तो सरकार जनता के सामने सरेंडर कर देती है।

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