Asaduddin Owaisi Vs Kiren Rijiju: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और ओवैसी के बीच तीखी बहस, अल्पसंख्यकों को मिल रही सुविधाओं से शुरू होकर हक और पलायन तक पहुंचा मामला
Asaduddin Owaisi vs Kiren Rijiju: विवाद की शुरुआत रिजिजू के एक बयान से हुई, जिसमें उन्होंने दावा किया कि भारत में अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों से ज्यादा सुविधाएं और सुरक्षा मिलती हैं। ओवैसी ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे संविधान की भावना के खिलाफ बताया।
Asaduddin Owaisi vs Kiren Rijiju, image source: PTI
- भारत में अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों से ज्यादा सुविधाएं और सुरक्षा : रिजिजू
- ओवैसी ने इस बयान को संविधान की भावना के खिलाफ बताया
- सरकार पर मुसलमानों के साथ संस्थागत भेदभाव का आरोप
- रिजिजू ने प्रधानमंत्री मोदी सरकार की अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं का जिक्र किया
नई दिल्ली: Asaduddin Owaisi vs Kiren Rijiju, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के बीच अल्पसंख्यकों के अधिकारों और स्थिति को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई है। विवाद की शुरुआत रिजिजू के एक बयान से हुई, जिसमें उन्होंने दावा किया कि भारत में अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों से ज्यादा सुविधाएं और सुरक्षा मिलती हैं। ओवैसी ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे संविधान की भावना के खिलाफ बताया।
किरेन रिजिजू ने किया यह दावा
7 जुलाई को एक लेख में किरेन रिजिजू ने कहा कि भारत एकमात्र देश है जहां अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों से अधिक अधिकार और सुरक्षा दी जाती है। उन्होंने लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार की योजनाएं सभी वर्गों के लिए हैं, लेकिन अल्पसंख्यक मंत्रालय के जरिए अल्पसंख्यकों को विशेष लाभ भी दिया जा रहा है।
उन्होंने सोशल मीडिया पर सवाल किया, “अगर भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति इतनी खराब है तो वे देश छोड़कर क्यों नहीं जाते? क्यों हमारे पड़ोसी देशों से अल्पसंख्यक भारत आना पसंद करते हैं?”
ओवैसी ने किया तीखा पलटवार
AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार करते हुए कहा, “आप मंत्री हैं, राजा नहीं। अल्पसंख्यकों को जो अधिकार मिले हैं, वे संविधान से मिले मौलिक अधिकार हैं, न कि किसी की मेहरबानी।” ओवैसी ने कहा कि भारत के अल्पसंख्यक संघर्ष, साहस और संविधान में विश्वास के कारण यहां हैं। उन्होंने लिखा, “हम न अंग्रेजों से भागे, न बंटवारे के समय, न ही गुजरात, दिल्ली, नेल्ली जैसे दंगों में। हम अपने हक के लिए लड़ते हैं, डरकर भागते नहीं।” उन्होंने रिजिजू को सलाह दी कि भारत की तुलना पाकिस्तान, बांग्लादेश या म्यांमार जैसे “असफल देशों” से न करें।
मुसलमानों की स्थिति पर ओवैसी की टिप्पणी
ओवैसी ने सरकार पर मुसलमानों के साथ संस्थागत भेदभाव का आरोप लगाते हुए कई मुद्दे उठाए:
शिक्षा: मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप, प्री-मैट्रिक और मेरिट-कम-मीन्स जैसी छात्रवृत्तियाँ बंद कर दी गईं, जिससे मुस्लिम छात्रों की उच्च शिक्षा में भागीदारी घटी।
आर्थिक हालात: मुसलमानों की बड़ी आबादी असंगठित क्षेत्र में काम कर रही है, जहां रोज़गार की कोई स्थिरता नहीं है।
बुनियादी सुविधाएं: मुस्लिम बहुल इलाकों में सड़क, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं की भारी कमी है।
नफरत और हिंसा: ओवैसी ने पूछा, “क्या अल्पसंख्यकों को रोज़ ‘पाकिस्तानी’, ‘जिहादी’ या ‘रोहिंग्या’ कहे जाने को विशेषाधिकार कहा जा सकता है? क्या मॉब लिंचिंग और धार्मिक स्थलों पर बुलडोजर चलाना सुरक्षा का प्रतीक है?”
उन्होंने कहा कि वे न तो विशेषाधिकार मांग रहे हैं और न ही बहुसंख्यकों से ज्यादा कुछ चाहते हैं – केवल संविधान में दिए गए हक और न्याय की मांग कर रहे हैं।
केंद्र सरकार की योजनाएं: रिजिजू का पक्ष
रिजिजू ने प्रधानमंत्री मोदी सरकार की अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि:
प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK): अब तक 5.63 लाख इंफ्रास्ट्रक्चर यूनिट्स स्वीकृत हुए, जिसमें 2.35 लाख जियो-टैग किए जा चुके हैं। योजना पर 10,749 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
छात्रवृत्तियों में बढ़ोतरी: 10 सालों में छात्रवृत्ति में 172% और महिला लाभार्थियों में 182% की वृद्धि हुई।
PM VIKAS: 9.25 लाख से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षण और रोजगार मिला।
हज सुधार: हज यात्रियों की संख्या बढ़ी है, मेहरम के बिना महिलाओं के लिए यात्रा की सुविधा शुरू की गई है। 2024 में 4,558 महिलाओं ने इसका लाभ उठाया।
स्किल डेवलपमेंट: अब तक 10 लाख से अधिक अल्पसंख्यक युवाओं को प्रशिक्षण और प्लेसमेंट मिला है।
रिजिजू ने कहा कि “‘भागीदारी से भाग्योदय’ के सिद्धांत पर चलते हुए सरकार अल्पसंख्यकों को विकास की मुख्यधारा में शामिल कर रही है।”
यह बहस एक बार फिर अल्पसंख्यकों की स्थिति और उनके अधिकारों को लेकर राजनीति के केंद्र में आ गई है। जहां सरकार अपनी उपलब्धियों और योजनाओं के जरिए दावा कर रही है कि वह अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है, वहीं विपक्ष और विशेषकर असदुद्दीन ओवैसी, संवैधानिक अधिकारों और ज़मीनी हकीकत के आधार पर सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं।
read more: मराठी भाषियों की क्षमताओं पर सवाल उठाने की जरूरत नहीं: दुबे की टिप्पणी के बाद शेलार
read more: कपिल देव ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री से मुलाकात की, प्रस्तावित खेल विश्वविद्यालय के लिए समर्थन जताया

Facebook



