#SarkaronIBC24: बिहार चुनाव में फिर हावी रहेगा जातिगत समीकरण! अल्पसंख्यक आयोग के पुनर्गठन और उच्च जाति आयोग के गठन के मायने क्या? जानें
Caste equations will dominate Bihar elections again: नीतीश कुमार ने कहा कि खुशी की बात है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने जाति आधारित गणना कराने का निर्णय लिया है इसके लिए मैं नमन और अभिनंदन करता हूं। ये बहुत बड़ी बात है।
#SarkaronIBC24
- सभी जातियों को साधने की रणनीति पर चल रहे नीतीश कुमार
- बिहार की सियासत में जाति की बड़ी भूमिका
पटना: #SarkaronIBC24 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले 2 दशक से बिहार की सत्ता पर काबिज है.. इतने साल शासन करने के बाद भी नीतीश.. विकास की जगह जातिगत समीकरण के भरोसे बैठे हैं.. चुनाव के चंद महीनों पहले नीतीश जिस तरह से सभी जातियों को साधने की रणनीति पर चल रहे हैं.. उससे साफ संकेत मिल रहा है कि चुनाव में जातिगत समीकरण ही हावी रहने वाले हैं.. दरअसल नीतीश कुमार ने हाल ही में अल्पसंख्यक आयोग का पुनर्गठन किया है.. तो वहीं अब ”उच्च जाति आयोग” के गठन पर भी मुहर लगा दी है…
नीतीश कुमार ने कहा कि खुशी की बात है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने जाति आधारित गणना कराने का निर्णय लिया है इसके लिए मैं नमन और अभिनंदन करता हूं। ये बहुत बड़ी बात है।
बिहार की सियासत में जाति की कितनी बड़ी भूमिका है.. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस बयान ने साफ कर दिया.. नीतीश बाबू एक तरफ पीएम मोदी का राष्ट्रीय स्तर पर जाति जनगणना के फैसले के लिए अभिनंदन कर रहे थे तो दूसरी तरफ.. बिहार के अंदर ही नीतीश ने बड़ा चुनावी दांव चल दिया.. नीतीश सरकार ने ऊंची जातियों के विकास के लिए ”उच्च जाति आयोग” के गठन की अधिसूचना जारी कर दी..
बीजेपी नेता महाचंद्र प्रसाद सिंह को आयोग का अध्यक्ष बनाया है.. जबकि JDU नेता राजीव रंजन को उपाध्यक्ष… दयानंद राय, जय कृष्ण झा और राजकुमार सिंह इसके सदस्य होगे.. आयोग का कार्यकाल 3 साल का होगा.. जिसका काम ऊंची जातियों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन करना है.. इसी आधार पर आयोग अगड़ी जातियों के कल्याण के लिए सरकार को नीति बनाने में मदद करेगा.. बिहार में भूमिहार,ब्राह्मण, राजपूत और कायस्थ जैसी अगड़ी जातियां हैं.. जिसका कुल जनसंख्या में अनुपात लगभग 20 फीसदी हैं.
नीतीश सरकार ने अक्टूबर 2023 में बिहार में हुई जाति जनगणना के आंकडे़ जारी किए थे.. जिनके आधार पर अति पिछड़ा और महादलित समुदायों के विकास पर जोर दिया था.. ऐसे में अब उच्च जाति आयोग का गठन.. जाति संतुलन साधने की NDA की कवायद के रुप में देखा जा रहा है.. क्योंकि बीजेपी का पारंपरिक वोट बैंक अगड़ी जातियों में मजबूत रहा है…
नीतीश सरकार के इस फैसले पर सियासत भी शुरू हो गई है.. बीजेपी और JDU जहां इसकी जमकर तारीफ कर रही है.. तो वहीं विपक्ष हमलावर है…
बिहार की सियासत में नीतीश कुमार बडेे OBC चेहरा हैं.. जाति जनगणना और उच्च जाति आयोग के गठन के फैसले.. बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की बिसात तय कर रहे हैं..एक तरफ राहुल गांधी भी जोर शोर से जाति जनगणना की वकालत कर रहे हैं..यानी ये तो तय है कि विधानसभा चुनाव में विकास से ज्यादा जातिगत मुद्दे और जातिगत समीकरण हावी रहें.. अब देखना ये है कि बिहार की जाति केंद्रीत राजनीति में किस दल का चुनावी गणित सही बैठता है…

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