MP News: ‘बहुत आश्चर्यचकित हूं…2025 में भी इस तरह की घटना हो रही’, युवा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का बड़ा बयान
Youth Congress State President on bjp: मितेंद्र सिंह ने कहा है.. बहुत आश्चर्यचकित हूं, 2025 में भी इस तरह की घटना हो रही है। SC वर्ग के साथ, अहिरवार को मंदिर में जाने से रोका जा रहा है। बीजेपी के लोग मनु स्मृति की सोच रखने वाले हैं।
युवा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष मितेंद्र सिंह का बयान, image source: ibc24
ग्वालियर: MP News, छतरपुर की घटना पर मध्य प्रदेश के युवा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष मितेंद्र सिंह का बयान आया है। मितेंद्र सिंह ने कहा है.. बहुत आश्चर्यचकित हूं, 2025 में भी इस तरह की घटना हो रही है। SC वर्ग के साथ, अहिरवार को मंदिर में जाने से रोका जा रहा है। बीजेपी के लोग मनु स्मृति की सोच रखने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी छूत ओर अछूत की बात हो रही है, बीजेपी से कहना चाहता हूं, कड़े से कड़े एक्शन लीजिए। कांग्रेस तभी तो कह रही है, संविधान को नहीं बचाया, तो बीजेपी के लोग अपनी मनु स्मृति की सोच को लागू कर देगें।
बता दें कि मध्य प्रदेश में छुआछूत और ऊंच-नीच की पुरानी प्रथाएं आज भी समाज में अपनी जड़ें जमाए हुए हैं, और इसका ताजा उदाहरण छतरपुर जिले के सटई थाना क्षेत्र के अतरार गांव में देखने को मिला। यहां बीते साल 20 अगस्त को एक दलित व्यक्ति द्वारा मंदिर में प्रसाद चढ़ाने और उसे गांव के अन्य लोगों में बांटने पर उनके परिवार और प्रसाद ग्रहण करने वाले पांच अन्य लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया।
गांव के सरपंच संतोष तिवारी ने कथित तौर पर यह आदेश दिया कि इन सभी व्यक्तियों को अब किसी भी सामाजिक कार्यक्रम, जैसे शादी, तेरहवीं या चौक में आमंत्रित नहीं किया जाएगा। इसके चलते बहिष्कृत व्यक्तियों को मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है। पीड़ित दलित परिवार ने इस मामले की शिकायत पुलिस अधीक्षक (एसपी) से की है और कार्रवाई की मांग की है।
जानें क्या है पूरा मामला
अतरार गांव के जगत अहिरवार ने बताया कि उन्होंने 20 अगस्त को गांव के हनुमान मंदिर में पुजारी के माध्यम से प्रसाद चढ़वाया था। इसके बाद उन्होंने यह प्रसाद गांव के अन्य लोगों में बांट दिया। जब यह बात सरपंच संतोष तिवारी को पता चली, तो उन्होंने न केवल जगत अहिरवार बल्कि प्रसाद ग्रहण करने वाले अन्य लोगों का भी सामाजिक बहिष्कार कर दिया।
जगत अहिरवार के अनुसार, “हमने बस धार्मिक भावनाओं के तहत प्रसाद चढ़ाया और उसे सभी में बांटा। लेकिन हमारे दलित समाज से होने के कारण सरपंच और कुछ अन्य लोगों ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया। यह हमारे साथ छुआछूत की प्रथा का खुला प्रदर्शन है।”
गांव के लगभग 20 लोग, जिन्होंने प्रसाद खाया था, उन्हें भी सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है। बहिष्कृत व्यक्तियों का कहना है कि उन्हें अब किसी भी प्रकार के सामाजिक आयोजन में आमंत्रित नहीं किया जा रहा है।
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पुलिस ने दर्ज की मामला?
पीड़ित दलित परिवार ने मामले की शिकायत छतरपुर एसपी से की है। पुलिस ने शिकायत दर्ज कर ली है और जांच शुरू कर दी है। सटई थाना प्रभारी ने बताया, “हमें शिकायत मिली है और हम मामले की जांच कर रहे हैं। दोषी पाए जाने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। समाज में इस तरह की प्रथाएं अस्वीकार्य हैं।”

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