Bilaspur News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का अहम फैसला, पिता को छोड़ मामा को दिया 8 वर्षीय बच्चे के पालन पोषण का अधिकार…जानें मामला

Bilaspur News: मामा ने गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट, 1890 के तहत बच्चे की कस्टडी की मांग की। फैमिली कोर्ट ने मामा के आवेदन को स्वीकार करते हुए उनके पक्ष में फैसला देते हुए बच्चे के पालन पोषण और साथ रखने का अधिकार दिया।

Bilaspur News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का अहम फैसला, पिता को छोड़ मामा को दिया 8 वर्षीय बच्चे के पालन पोषण का अधिकार…जानें मामला

Bilaspur News

Modified Date: August 13, 2025 / 08:57 pm IST
Published Date: August 13, 2025 8:56 pm IST
HIGHLIGHTS
  • मां की मौत के बाद मामा के पास था नवजात शिशु
  • पिता ने कभी बेटे को अपने पास लाने की नहीं की कोशिश
  • पिता को वीडियो कॉल और छुट्टियों में बेटे से मिलने का हक

बिलासपुर: Bilaspur News, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में 8 साल के बच्चे के पालन पोषण का अधिकार उसके मामा पक्ष को दिया है। मां की मौत के बाद फैमिली कोर्ट ने उसके मामा को बच्चे का पालन-पोषण करने का अधिकार दिया था। जिसे पिता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखकर पिता की अपील खारिज की है। हालांकि, डिवीजन बेंच ने पिता को छुट्टियों और त्योहारों पर बेटे से मिलने और वीडियो कॉल करने का अधिकार दिया है।

मां की मौत के बाद मामा के पास था नवजात शिशु

कबीरधाम में रहने वाले तरण सिंह की पहली पत्नी रागिनी सिंह का 12 मार्च 2017 को प्रसव के कुछ दिन बाद निधन हो गया था। मां की मौत के बाद से नवजात शिशु अपने मामा के यहां रह रहा है। अब वो 8 साल का हो गया है। उसके मामा ललित सिंह ने बच्चे की कस्टडी (अधिकार) के लिए फैमिली कोर्ट में प्रकरण प्रस्तुत किया। इसमें बताया कि बच्चे के पिता ने पत्नी की मौत के एक साल बाद दूसरी शादी कर ली और उस रिश्ते से उनकी एक बेटी भी है। इस दौरान बच्चे को उसके पिता ने अपने साथ ले जाने की कोई कोशिश नहीं की।

Bilaspur News मामा ने गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट, 1890 के तहत बच्चे की कस्टडी की मांग की। फैमिली कोर्ट ने मामा के आवेदन को स्वीकार करते हुए उनके पक्ष में फैसला देते हुए बच्चे के पालन पोषण और साथ रखने का अधिकार दिया। पिता ने फैमिली कोर्ट के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अपील की। इसमें कहा कि वो स्वाभाविक अभिभावक हैं और बेटे की बेहतर परवरिश कर सकते हैं।

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पिता ने कभी बेटे को अपने पास लाने की नहीं की कोशिश

दूसरी तरफ बच्चे के मामा ने भी अपना पक्ष रखा और भांजे के बेहतर पालन की आवश्यकता बताई। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्क और साक्ष्यों को देखने के बाद पाया कि पिता ने कभी बेटे को अपने पास लाने की कोशिश नहीं की। बच्चा बचपन से मामा के साथ रह रहा है और वहां सुरक्षित है। ऐसे में अब 8 साल का बच्चा अपने पिता और सौतेली मां के पास असहज महसूस करेगा।

पिता को वीडियो कॉल और छुट्टियों में बेटे से मिलने का हक

हाईकोर्ट ने तर्कों को सुनने और साक्ष्यों के आधार पर फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। साथ ही कहा कि बच्चे का पालन-पोषण और कल्याण वर्तमान में उसके मामा के पास ही सुरक्षित है। हालांकि, कोर्ट ने अपीलकर्ता पिता को वीडियो कॉल और छुट्टियों में बेटे से मिलने का हक दिया है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि मुलाकात में मामा किसी तरह की रुकावट नहीं डालेंगे। इसके साथ ही जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने पिता की अपील खारिज कर दी।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com