Uttarakhand Gym Trainer’s Death Case: जिम ट्रेनर की मौत के मामले में नया मोड़, कोर्ट ने कहा ‘वसीम को पीटा गया था’, 6 पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR के आदेश
Uttarakhand Gym trainer's death case: उसके परिवार ने पुलिस पर वसीम की हत्या का आरोप लगाया था। वहीं पुलिस ने दावा किया कि वसीम गोकशी से जुड़ा मांस लेकर भाग रहा था और डर के कारण तालाब में कूदने से उसकी मौत हुई है।
Uttarakhand Gym trainer's death case, image source: social media
- करीब 10 महीने बाद कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया
- 22 साल के जिम ट्रेनर वसीम का शव एक तालाब में मिला
- आधा दर्जन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश
हरिद्वार: Uttarakhand Gym trainer’s death case, बीते साल 25 अगस्त 2024 को हरिद्वार के माधोपुर इलाके में 22 साल के जिम ट्रेनर वसीम का शव एक तालाब में डूबा हुआ मिला था। उसके परिवार ने पुलिस पर वसीम की हत्या का आरोप लगाया था। वहीं पुलिस ने दावा किया कि वसीम गोकशी से जुड़ा मांस लेकर भाग रहा था और डर के कारण तालाब में कूदने से उसकी मौत हुई है।
वहीं यह मामला कोर्ट में चल रहा था, अब इस मामले में करीब 10 महीने बाद कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हरिद्वार के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार श्रीवास्तव ने आधा दर्जन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने और मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
जानें क्या है पूरा मामला?
Uttarakhand Gym trainer’s death case, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जिम ट्रेनर वसीम 25 अगस्त की सुबह अपने घर लौट रहा था, तभी सब-इंस्पेक्टर शरद सिंह, कांस्टेबल सुनील सैनी और प्रवीण सैनी समेत तीन अज्ञात पुलिसकर्मियों ने उसे रास्ते में रोका। वसीम के रिश्तेदार अलाउद्दीन द्वारा कोर्ट में दी गई याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने वसीम को लाठी-डंडों से बेरहमी से पीटा और उसे मारकर तालाब में फेंक दिया।
अलाउद्दीन के अनुसार, स्थानीय लोगों ने घटना का वीडियो भी बनाया। वहीं जब लोगों ने इस मामले में हस्तक्षेप करने की कोशिश की, तो पुलिस ने उन्हें भी धमकी दी। जिसमें कहा कि यदि उन्होंने बीच में आने की कोशिश की, तो गोली मार देंगे। अलाउद्दीन के अनुसार, अगली सुबह उन्होंने गंगनहर थाने में इस घटना की लिखित शिकायत दी, लेकिन कोई FIR दर्ज नहीं की गई।
पुलिस की दलील क्या है?
वहीं इस केस में पुलिस का दावा है कि स्कूटर सवार एक व्यक्ति (वसीम) पुलिस को देखकर भाग गया। जब स्कूटर की तलाशी ली गई, तो उसमें कथित रूप से गोमांस से भरे पैकेट मिले। पुलिस का कहना है कि इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौके पर एकजुट हो गए और पुलिसकर्मियों को घेरकर उन पर वसीम की पिटाई और हत्या के आरोप लगाए।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में वसीम की मौत का कारण डूबना और दम घुटना बताया गया है। इसके अलावा अपनी दलील में पुलिस ने वसीम की बॉडी पर मौजूद चोटों को “किसी कठोर चीज से टकराने” का परिणाम बताया है। वहीं, निचले होंठ के गायब होने को मछली द्वारा काटे जाने से जोड़ दिया गया।
अब कोर्ट ने फैसले में क्या कहा?
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसे यह तय करने की जरूरत नहीं है कि शिकायत सही है या झूठी, बल्कि यह देखना है कि क्या उसमें किसी अपराध के घटित होने का आरोप है।
कोर्ट ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वसीम के शरीर पर मौत से पहले की छह चोटों के निशान पाए गए, जिससे यह संकेत मिलता है कि उसके साथ मारपीट हुई थी। साथ ही, जांच में यह पुष्टि भी हुई कि आरोपी पुलिसकर्मी घटनास्थल पर मौजूद थे। इन्हीं बिंदुओं को आधार बनाते हुए कोर्ट ने कहा कि आरोपों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और उचित जांच जरूरी है।
कोर्ट ने आदेश दिया है कि मामले की जांच हरिद्वार मुख्यालय से एक सर्किल ऑफिसर रैंक के अधिकारी द्वारा की जाए। साथ ही, सभी 6 पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज कर उचित कानूनी कार्रवाई शुरू की जाए।
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