Mahakumbh 2025 Kalpavas : क्या होता है कल्पवास? आसान नहीं ये प्र​क्रिया, कठोर नियमों का करना होता है पालन, जानें क्या है मान्यता

Mahakumbh 2025 Kalpavas : क्या होता है कल्पवास? आसान नहीं ये प्र​क्रिया, कठोर नियमों का करना होता है पालन, जानें क्या है मान्यता |

Mahakumbh 2025 Kalpavas : क्या होता है कल्पवास? आसान नहीं ये प्र​क्रिया, कठोर नियमों का करना होता है पालन, जानें क्या है मान्यता

Mahakumbh 2025 Kalpavas | Source : AI Meta

Modified Date: January 20, 2025 / 02:16 pm IST
Published Date: January 20, 2025 2:16 pm IST

प्रयागराज। Mahakumbh 2025 Kalpavas : 13 जनवरी से प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हो गई है। महाकुंभ में शामिल होने के बाद देश ही नहीं दुनियाभर से साधू-संत, नामी हस्ती और आम लोग प्रयागराज पहुंच रहे हैं। सदियों से चले आ रहे कुंभ की अपनी अलग अलग परंपराएं हैं। इस बार के महाकुंभ में हजारों लोगों ने नागा साधुओं बनने की दीक्षा ली है। वहीं कई महिलाएं कुंभ में स्नान कर साध्वी की दीक्षा लेती हैं। वहीं सदियों से चले आ रहे कुंभ को एक बार अंग्रेजों की सरकार ने संगम में स्नान पर रोक लगा दी थी।

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ये बात सन 1924 की है। उनका कहना था कि संगम के पास फिसलन बढ़ गई है, भीड़ की वजह से हादसा हो सकता है। लोग ‘कल्पवासी दिन में तीन बार स्नान करते हैं। दोपहर का स्नान वे संगम तट पर ही करते हैं। इसलिए वे संगम में स्नान के लिए अड़े थे।’ तब कल्पवासियों को पंडित मदन मोहन मालवीय का साथ मिला। उन्होंने सरकार के फरमान के खिलाफ जल सत्याग्रह शुरू कर दिया। 200 से ज्यादा कल्पवासी, मालवीय के साथ ब्रिटिश पुलिस के साथ आर-पार के मूड में थे। जवाहरलाल नेहरू भी तब प्रयाग में ही थे। जब उन्हें पता चला कि संगम में स्नान को लेकर मालवीय जल सत्याग्रह कर रहे हैं, तो वे भी संगम पहुंच गए।

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क्या होता है कल्पवास?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो प्रयागराज में शुरू होने वाले कल्पवास में एक कल्प का पुण्य मिलता है। शास्त्रों में कल्प का अर्थ ब्रह्मा जी का एक दिन बताया गया है। कल्पवास का महत्व रामचरितमानस और महाभारत जैसे कई धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। एक माह तक चलने वाले कल्पवास के दौरान कल्पवासी को जमीन पर सोना पड़ता है। इस दौरान एक समय का आहार या निराहार भी रह सकते हैं। कल्पवास करने वाले व्यक्ति को तीन समय गंगा स्नान करना चाहिए। कुंभ चार जगहों- प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में लगता है, लेकिन कल्पवास सिर्फ प्रयाग में ही होता है। हर साल माघ मेला के दौरान कल्पवासी प्रयाग आते हैं। मान्यता है कि कुंभ के दौरान कल्पवास की महिमा बढ़ जाती है।

क्या है कल्पवास की मान्यता?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्माजी के एक दिन को कल्प कहा जाता है। कलयुग, द्वापर, त्रेता और सतयुग चारों युग मिलकर जब एक हजार बार आते हैं, तो वह अवधि ब्रह्मा जी के एक दिन या एक रात के बराबर होती है। सतयुग 17,28,000 साल, त्रेता युग 12,96,000 साल, द्वापर युग 8,64,000 साल और कलियुग 4,32,000 साल का होता है। ऐसे एक हजार साल बीतेंगे तब एक कल्प होगा। यानी कोई कुंभ में कल्पवास करेगा तो पृथ्वी की गणना के अनुसार उसे 432 करोड़ साल का फल मिलेगा।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो कल्पवासी 12 साल तक लगातार कल्पवास करते हैं, उन्हें मोक्ष मिलता है। कर्मकाण्ड या पूजा में हर कार्य संकल्प के साथ शुरू होता है और संकल्प में ‘श्रीश्वेतवाराहकल्पे’ का सम्बोधन किया जाता है। इसका मतलब है कि सृष्टि की शुरुआत से लेकर अब तक 11 कल्प बीत चुके हैं। अभी 12वां कल्प चल रहा है।

कैसी होती है कल्पवास की प्र​क्रिया?

कल्पवास की प्रक्रिया आसान बिल्कुल भी नहीं है। जाहिर है मोक्षदायनी की ये विधि एक बेहद कठिन साधना है। इसमें पूरे नियंत्रण और संयम की जरूरत होती है। पद्म पुराण में इसका जिक्र करते हुए महर्षि दत्तात्रेय ने कल्पवास के नियमों के बारे में विस्तार से वर्णन किया है। महिलाएं कल्पवास के दौरान श्रृंगार तक नहीं कर सकती हैं। 45 दिन तक कल्पवास करने वाले को 21 नियमों का पालन करना होता है। पहला नियम सत्यवचन, दूसरा अहिंसा, तीसरा इन्द्रियों पर नियंत्रण, चौथा सभी प्राणियों पर दयाभाव, पांचवां ब्रह्मचर्य का पालन, छठा व्यसनों का त्याग, सातवां ब्रह्म मुहूर्त में जागना, आठवां नित्य तीन बार पवित्र नदी में स्नान, नवां त्रिकाल संध्या, दसवां पितरों का पिण्डदान, 11वां दान, बारहवां अन्तर्मुखी जप, तेरहवां सत्संग, चौदहवां संकल्पित क्षेत्र के बाहर न जाना, पंद्रहवां किसी की भी निंदा न करना, सोलहवां साधु सन्यासियों की सेवा, सत्रहवां जप और संकीर्तन, अठाहरवां एक समय भोजन, उन्नीसवां भूमि शयन, बीसवां अग्नि सेवन न कराना, इक्कीसवां देव पूजन। इनमें सबसे अधिक महत्व ब्रह्मचर्य, व्रत, उपवास, देव पूजन, सत्संग और दान का माना गया है।

 

 


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

Shyam Bihari Dwivedi, Content Writter in IBC24 Bhopal, DOB- 12-04-2000 Collage- RDVV Jabalpur Degree- BA Mass Communication Exprince- 5 Years