Bhopal Lok Sabha Elections 2019: भोपाल सीट पर साध्वी प्रज्ञा और दिग्विजय आमने-सामने, प्रखर बनाम सॉफ्ट हिंदुत्व की टक्कर..  आखिर कौन बनेगा राजधानी का राजा?

Bhopal Lok Sabha Elections 2019: भोपाल सीट पर साध्वी प्रज्ञा और दिग्विजय आमने-सामने, प्रखर बनाम सॉफ्ट हिंदुत्व की टक्कर..  आखिर कौन बनेगा राजधानी का राजा?

Bhopal Lok Sabha Elections 2019: भोपाल सीट पर साध्वी प्रज्ञा और दिग्विजय आमने-सामने, प्रखर बनाम सॉफ्ट हिंदुत्व की टक्कर..  आखिर कौन बनेगा राजधानी का राजा?
Modified Date: November 29, 2022 / 08:07 pm IST
Published Date: May 8, 2019 11:16 am IST

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल अपनी हरियाली और आधुनिकता के मेल को लेकर जानी जाती है। भोपाल में साम्प्रदायिक सद्भावना को लेकर भी सकारात्मक माहौल है। भोपाल की जनता शिक्षित है, प्रोग्रेसिव सोच रखती है। नियम-कायदों का भी पालन करती है। अच्छे उम्मीदवार को जिताने के लिए पार्टी विशेष का मोह छोड़ सकती है। हालांकि उम्मीदवार चयन में दोनों प्रमुख पार्टियां कांग्रेस-बीजेपी ने ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जिनके खिलाफ लोग खुलकर राय रखते हैं। कांग्रेस से दिग्विजय सिंह और बीजेपी के द्वारा साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद चुनावी मुद्दा एक तरह से धर्मयुद्ध कहा जाने लगा है। यही वजह है कि 2019 के भोपाल संसदीय सीट का चुनाव दिलचस्प हो गया है।

8 विधानसभा सीटें

भोपाल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें भोपाल उत्तर, नरेला, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, भोपाल मध्य, गोविंदपुरा, हुजूर, सीहोर और बैरसिया (सुरक्षित) शामिल हैं।  लगभग पांच माह पहले हुए विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने आठ में से पांच और कांग्रेस ने तीन सीटें जीती हैं। 

लोकसभा चुनाव 2019 : प्रत्याशी

दिग्विजय सक्रिय राजनीति में 1971 में आए, जब वह राघोगढ नगरपालिका अध्यक्ष बने। 1977 में कांग्रेस टिकट पर चुनाव जीत कर राघोगढ़ विधान सभा क्षेत्र से विधानसभा सदस्य बने। 1978-79 में दिग्विजय को प्रदेश युवा कांग्रेस का महासचिव बनाया गया। 1980 में वापस राघोगढ़ से चुनाव जीतने के बाद दिग्विजय को अर्जुन सिंह मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री का पद दिया गया तथा बाद में कृषि विभाग दिया गया। 1984, 1992 में दिग्विजय को लोकसभा चुनाव में विजय मिली। 1993 और 1998 में इन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। बीजेपी की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह को कोई राजनीतिक इतिहास नहीं है। साध्वी प्रज्ञा पर मालेगांव बम विस्फोट में शामिल होने का आरोप है, और वे फिलहाल स्वास्थ्य के आधार पर जमानत पर हैं। साध्वी प्रज्ञा ने 17 अप्रैल 2019 को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और पार्टी ने उन्हें सत्रहवीं लोकसभा के सदस्य के लिए भोपाल से लोकसभा का टिकट दिया है। यहां उनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस के दिग्विजय सिंह से है।

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बीजेपी का गढ़ भोपाल

भोपाल लोकसभा सीट से 1957 और 1962 में कांग्रेस की मैमूना सुल्तान, 1967 में जनसंघ के जगन्नाथराव जोशी, 1971 में कांग्रेस के शंकरदयाल शर्मा (भूतपूर्व राष्ट्रपति), 1977 में लोकदल के आरिफ बेग, 1980 में कांग्रेस के शंकर दयाल शर्मा और 1984 में कांग्रेस के के.एन. प्रधान ने चुनाव जीता था। वहीं 1989, 1991, 1996, 1998 में BJP के सुशील चंद्र वर्मा ने लगातार चार बार जीत हासिल की।  1999 में बीजेपी की दिग्गज नेता उमा भारती, फिर 2004 और 2009 में भारतीय जनता पार्टी के कैलाश जोशी दो बार जीते। भोपाल संसदीय क्षेत्र के इतिहास पर बात करें तो साल 1984 के बाद से यहां बीजेपी का कब्जा है। भोपाल संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए 16 चुनाव में कांग्रेस को छह बार जीत हासिल हुई है।

भोपाल का जातीय समीकरण

भोपाल संसदीय क्षेत्र में तकरीबन साढ़े 19 लाख मतदाता हैं। इसमें 4 लाख मुस्लिम, साढ़े तीन लाख ब्राह्मण, साढ़े चार लाख पिछड़ा वर्ग, दो लाख कायस्थ, सवा लाख क्षत्रिय वर्ग से हैं। मतदाताओं के इसी गणित को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा था, मगर बीजेपी ने प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस की रणनीति पर चोट लगाने की तैयारी कर ली।

क्या कहता है जनता का मूड

भोपाल के चुनाव में ध्रुवीकरण की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। दिग्विजय सिंह मंदिर-मंदिर जाकर खुद की हिंदु विरोधी छवि को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। कंम्प्यूटर बाबा के जरिए संत समाज को साधने की कोशिश भी दिग्विजय सिंह कर रहे हैं। कांग्रेस की हर संभव कोशिश है कि हिंदु वोटों के ध्रुवीकरण को किसी तरह रोका जाए। दिग्विजय सिंह खुद धार्मिक स्थलों पर जाकर अपनी छवि बनाने में लगे हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी दिग्विजय सिंह को मुस्लिम परस्त और हिंदू विरोधी बताने में लगी हुई हैं। साध्वी प्रज्ञा इस चुनाव को धर्मयुध्द बता रही हैं। ऐसे में भोपाल संसदीय सीट का चुनाव उस दिशा में बढ़ गया है, जहां बीजेपी कांग्रेस को हराने से ज्यादा दिग्विजय सिंह को हराने के लिए रणनीति बना रही है। वहीं कांग्रेस के तमाम नेता सॉफ्ट हिंदुत्व के साथ लगे हुए हैं।

चुनावी मुद्दे

भोपाल में यूं तो पर्याप्त विकास हुआ है। मेट्रो ट्रेन की इस शहर को दरकार है। पेयजल आज भी राजधानी के लिए एक बड़ा मुद्दा है। भोपाल में होशंगाबाद से नर्मदा का पानी लाया गया है। लेकिन इसका संपूर्ण भोपाल में वितरण अभी भी नहीं हो पा रहा है। गर्मियों में जलस्तर पाताल में चला जाता है। पुराने भोपाल में आज भी स्थितियां जस की तस हैं। लगातार बढ़ रहे दबाव के बीच यातायात और पार्किंग की समस्या बढ़ती जा रही है।   

लोकसभा चुनाव परिणाम 2014

मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट पर 2014 में हुए चुनाव में बीजेपी के आलोक संजर ने जीत हासिल की थी।

आलोक संजर (बीजेपी)  7,14,178 वोट मिले  
पी.सी. शर्मा (कांग्रेस)   3,43,482  वोट मिले


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