Sagar Lok Sabha Elections 2019 : सागर लोकसभा सीट, बीजेपी के इस गढ़ में जातिगत समीकरण हावी, बेरोजगारी-विकास बड़ा मुद्दा

Sagar Lok Sabha Elections 2019 : सागर लोकसभा सीट, बीजेपी के इस गढ़ में जातिगत समीकरण हावी, बेरोजगारी-विकास बड़ा मुद्दा

  •  
  • Publish Date - May 9, 2019 / 09:58 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:04 PM IST

लोकसभा चुनाव के छठें चरण के तहत 12 मई को मध्यप्रदेश की 8 सीटों पर मतदान होना है, इनमें से सागर लोकसभा क्षेत्र भी एक है। मध्यप्रदेश की सागर लोकसभा सीट बुंदेलखंड के अंतर्गत आती है। पिछले तीन दशक से ये सीट बीजेपी के कब्जे में है। बीजेपी ने यहां पिछले 6 चुनावों में जीत हासिल की है। इस सीट पर कांग्रेस को आखिरी बार 1991 में जीत  मिली थी। तब कांग्रेस के आनंद अहिरवार ने बीजेपी के राम प्रसाद अहिरवार को हराया था। वर्तमान में इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। बीजेपी के लक्ष्मी नारायण यादव वर्तमान सांसद हैं। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के गोविंद सिंह राजपूत को हराया था।

राजनीतिक इतिहास

सागर लोकसभा सीट पर पहला चुनाव आजाद भारत में सन् 1951 में हुआ।  यहां पर हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के सोढिया खूबचंद ने जीत हासिल की थी।  उन्होंने जनसंघ के चिंतामन रॉव को हराया था।  इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही बराबर जीत मिली है। दोनों को यहां पर 8 बार जीत हासिल हुई है, जबकि 1 बार जनसंघ को जीत मिली है। 1996 से इस सीट पर बीजेपी का ही कब्जा है। सागर लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं। इन 8 सीटों में से 7 पर बीजेपी का कब्जा है।

8 विधानसभा सीटें

सागर लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं। इनमें बीना, खुरई, सुरखी, नारोली, सागर कुर्वे, सिरोंज व शमशाबाद शामिल हैं। इन 8 सीटों में से 7 पर बीजेपी का कब्जा है। बता दें कि सागर जिला प्रदेश में आठवे नंबर पर है और सबसे बड़ा संभाग है। जिले में 11 तहसील है, जिनमें  बीना, खुरई, मल्थोंन, बंडा, शाहगढ़, राहतगढ़, सागर, रहली, गढ़ाकोटा, देवरी, केसली सागर हैं।

लोकसभा चुनाव 2019 : प्रत्याशी

बीजेपी ने सागर में मौजूदा सांसद लक्ष्मीनारायण यादव का टिकट काटकर निगम अध्यक्ष राजबहादुर को प्रत्याशी बनाया है। राजबहादुर ने पार्षद से राजनीति शुरु की थी और लगातार तीन बार वो पार्षद चुने गए हैं। हालांकि संभाग के नजरिए से वे एक नए चेहरे हैं। दिलचस्प बात यह है कि वे बीजेपी नेता और पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह के भांजे दामाद हैं।

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने प्रभु सिंह ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाया है। प्रभु सिंह बीना विधानसभा के ग्राम धनोरा निवासी हैं। इन्होंने अपना राजनैतिक सफर जनपद अध्यक्ष बीना से शुरू किया था। 1990 में उन्होंने सुधाकर बापट के सामने बीना से विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें पराजय हाथ लगी थी। कांग्रेस ने 1993 में इन्हें फिर से मौका दिया, जिसमें वे सुधाकर बापट को हराकर विधायक बने। प्रभु सिंह ठाकुर दिग्विजय सरकार में पंचायत ग्रामीण विकास राज्यमंत्री भी थे।

चुनावी मुद्दे

सागर जिला मध्य प्रदेश के हिस्से में आने वाले बुंदेलखंड के सबसे बड़े जिले में शुमार है। बुंदेलखंड की जो तस्वीर पूरे देश में है सागर जिला भी उस तस्वीर से जुदा नहीं है। जिले के गांव तो आज भी अभावों के टापूयों पर बसे हैं। सूखा ग्रस्त इलाका और खेती न होने से मजदूरी ही एक मात्र जीविका का साधन है ऐसे में रोजगार के लिए लोग पलायन के लिए मजबूर हैं। सागर लंबे समय से बीड़ी उद्योग का गढ़ रहा है । लेकिन बीड़ी उद्योग में लगे व्यापारियों ने दूसरे उद्योगों को पनपने नहीं दिया। पिछले कुछ समय से जिले में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों के बड़ी संख्या में नाम काटे गए जिसको लेकर ग्रामीण क्षेत्रो में आक्रोश दिखाई देता है। वहीं महिला अपराध को लेकर सागर पूरे प्रदेश में बदनाम है। कहने को तो यहां मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज है। सागर विश्विधालय का नाम पूरे देश में प्रसिद्ध है, लेकिन विश्विधालय के सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनने के बाद स्थानीय युवाओं को प्रवेश काफी मुश्किल से मिल रहा है। शहरी क्षेत्र की बात करें तो सागर की पहचान माने जाने वाले सागर तालाब भी गंदे नाले मिलने से अपने अस्तित्व को खोता जा रहा है।  नगर निगम होने के बाद भी यहां नगर पंचायत से ज्यादा बदतर हालात हैं शहर की बसाहट को लेकर भी कोई मास्टर प्लान नहीं है। बुंदेलखंड पैकेज के जरिए इस इलाके की तस्वीर को बदलने की कोशिश की गई लेकिन बदला कुछ नहीं। अगर बदला है तो सब फाइलों में, बुंदेलखंड का ये सबसे बड़ा जिला जहां पहले था वहीं आज भी है,ना इस जिले की तस्वीर बदली ना ही तकदीर ।

2014 लोकसभा चुनाव परिणाम

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लक्ष्मी नारायण यादव ने कांग्रेस के गोविंद सिंह राजपूत को हराया था। इस चुनाव में लक्ष्मी नारायण यादव को 4,82,580 तकरीबन 54.11 फीसदी मत प्राप्त हुए थे। तो वहीं गोविंद सिंह राजपूत को 3,61,843 तकरीबन 40.57 फीसदी वोट मिले थे।  दोनों के बीच हार जीत का अंतर 120737 वोटों का था।  इस चुनाव में बसपा 2.23 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थी।

जातिगत समीकरण

सागर लोकसभा क्षेत्र में दांगी ठाकुर जाति की संख्या 2 लाख से ज्यादा है। राजबहादुर को दांगी ठाकुर जाति का होने की वजह से टिकट मिला है। कांग्रेस प्रत्याशी प्रभु सिंह भी दांगी ठाकुर जाति के हैं। सागर सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस बीजेपी के बीच ही होने की संभावना है। 2011 की जनगणना के मुताबिक सागर की जनसंख्या 2313901 है। यहां की 72.01 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 27.99 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है। सागर की 22.35 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति के लोगों की है और 5.51 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है। सागर में जैन समाज की भी बाहुल्यता है। उम्मीद की जा रही थी कि इस बार बीजेपी किसी जैन समाज के किसी को उम्मीदवार बना सकती है, हालांकि ऐसा नहीं हुआ है। जैन समाज की नाराजगी बीजेपी को झेलनी पड़ सकती है बावजूद इसके कांग्रेस को केवल वोट कटने का ही फायदा मिलेगा।