World Breastfeeding Week 2022 : ब्रेस्टफीड कराना होता है फायदेमंद, जानें सबके सामने दूध पिलाने से क्यों डरती हैं महिलाएं

World Breastfeeding Week 2022 : ब्रेस्टफीड कराना होता है फायदेमंद, जानें सबके सामने दूध पिलाने से क्यों डरती हैं महिलाएं

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  • Publish Date - August 7, 2022 / 11:27 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 01:45 AM IST

World Breastfeeding Week 2022: नई दिल्ली। हर साल 1 से 7 अगस्त तक ‘वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक’ को सेलिब्रेट किया जाता है। बच्चे के जन्म के बाद से ही ब्रेस्टफीड कराना सिर्फ मां ही नहीं, बल्कि शिशु के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। मां का दूध बच्चे के लिए संपूर्ण आहार होता है। इससे बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर तरीके से होता है।

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कई बार डिलीवरी के दौरान मां की मृत्यु हो जाने, किसी बीमारी या फिर ब्रेस्ट मिल्क ना बनने से शिशु को फॉर्मूला मिल्क पिलाना पड़ता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, जन्म से लेकर कम से कम 6 महीने तक बच्चे को ब्रेस्टफीड ही करानी चाहिए।

भारत जैसे पुरुष प्रधान देश में जहां आज भी यहाँ की महिलाएं कुछ सवालों और सामाजिक कुरीतियों से लड़ रही हैं, उन महिलाओं के लिए बच्चे को खुलेआम स्तनपान करवाना भी आम नहीं है। ऐसी महिलाओं को आखिरकार किन चीजों का डर है, ये किससे डर रही हैं और वे ब्रेस्टफीडिंग को आम बनाने के लिए क्या कर सकती हैं, इन तमाम सवालों के जवाब से आज हम आपको अवगत करवाते हैं।

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World Breastfeeding Week 2022: ऐसी सोच, सवालों, डर और हिचक को चुनौती देती हैं बॉलीवुड एक्ट्रेस नेहा धूपिया, अमृता राव, मॉडल लिसा हेडन, ऑस्ट्रेलियाई संसद, सीनेटर लारिसा वाटर और स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय सांसद एमईपी लीसिया रोंजुली जैसी पावरफुल महिलाएं।

ब्रेस्टफीड कराना होता है फायदेमंद
स्टफीडिंग करने में कैलोरी की आवश्यकता बहुत अधिक होती है। इससे कैलोरी घटाने में मदद मिलती है।
-लॉन्ग टर्म में ब्रेस्ट कैंसर, ओवेरियन कैंसर, ऑस्टियोपोरोसिस आदि होने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।
-साथ ही मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसे हाई ब्लड प्रेशर, अर्थराइटिस, हार्ट डिजीज, टाइप-2 डायबिटीज, एंडोमेट्रिओसिस के भी होने का जोखिम कम हो जाता है।
– शिशु को स्तनपान कराने से हर तरह के पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।
– मां का दूध पीने वाले बच्चों में कान का इंफेक्शन, रेस्पिरेटरी इंफेक्शन, डायरिया, अस्थमा, एलर्जिक प्रॉब्लम्स, मोटापा आदि होने की संभावना कम रहती है।
-ब्रेस्टमिल्क में एंटीबॉडीज होते हैं, जो नवजात शिशु को कई तरह के इंफेक्शन, वायरस, बैक्टीरिया से बचाए रखते हैं. ऐसे बच्चों का आईक्यू लेवल भी अधिक होता है।

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