नासिर गौरी/ग्वालियर : मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल में बहुजन समाज पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं। बसपा अंचल की 4 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने जा रही है। खास बात ये है कि चंद दिन पहले तक बसपा को प्रत्याशी ढूंढे नहीं मिल रहे थे, लेकिन कांग्रेस के बागियों ने उसका काम आसान कर दिया है। बसपा कांग्रेस के बागियों पर दांव खेलकर कांग्रेस का ही खेल बिगाड़ने जा रही है। हम ऐसा क्यों कह रहे हैं जानने के लिए पढ़े ये हमारा रिपोर्ट..
ग्वालियर चंबल संभाग में यूं तो बसपा का कोई वजूद नहीं है, लेकिन जातिवाद की सियासत के चलते वो चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की ताकत रखती है। खास बात ये है कि बसपा यहां कभी अपने नेता या कार्यकर्ताओं पर दांव नहीं खेलती बल्कि कांग्रेस के बागियों को टिकट देकर चुनाव लड़ाती है। बसपा के अब इन तीन प्रत्याशियों पर जरा नजर दौड़ाए। रमेश गर्ग बसपा के मुरैना से प्रत्याशी बनाया हैं। वहीं ग्वालियर लोकसभा सीट से कल्याण सिंह कंसाना को टिकट दिया है। भिंड लोकसभा सीट से देवाशीष जरारिया बसपा के उम्मीदवार हैं। इन तीनों प्रत्याशियों में एक बात समान है। ये नेता कभी कांग्रेस पार्टी का हिस्सा थे, लेकिन अब उनके रास्ते जुदा हो गए हैं।
कांग्रेस के बागियों को चुनावी मैदान में उतारकर बसपा ने कांग्रेस का गणित तो बिगाड़ा ही साथ ही त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति भी पैदा कर दी है। कांग्रेस को जहां इससे अपने वोट बैंक के बंटने की आशंका है। तो बीजेपी। बसपा के वजूद को ही नकार रही है। ग्वालियर-चंबल अंचल के किसी भी चुनाव के ट्रेंड पर अगर नजर दौड़ाए तो एक बात साफ है कि यहां के मतदाताओं के वोटिंग पैटर्न में जातिवाद और क्षेत्रवाद का असर साफ दिखता है। शायद यही वजह है कि कभी कांग्रेस का गढ़ रहा ग्वालियर चंबल अंचल बसपा की एंट्री के बाद बीजेपी के दबदबे वाला बन गया है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन चुनाव दर चुनाव बेहतर होता जा रहा है।
सभा में भीड़ जुटाने महिलाओं को 200 रुपए का आफर!…
9 hours ago