The Big Picture With RKM : नामांकन से पहले ‘नमो शो’, वाराणसी से मोदी के सियासी संदेश क्या ? जानें

'NaMo Show' before nomination: उन्होंने यह साबित किया कि हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरे पीएम मोदी ही है, उनसे बड़ा कोई हिंदुत्व का चेहरा इस देश में नहीं है। क्योंकि इन राज्यों में जो उनके हिंदू वोटर हैं इसके जरिए पीएम मोदी ने उन्हें कनेक्ट करने का प्रयास किया है या उन्हें संदेश देने का प्रयास किया है।

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  • Publish Date - May 14, 2024 / 11:54 PM IST,
    Updated On - May 14, 2024 / 11:57 PM IST

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The Big Picture With RKM : वाराणसी। देश के प्रधानमंत्री की बात हो तो हर चीज ‘मेगा’ या बड़ी हो जाती है, वाराणसी में पीएम मोदी के बिग शो पर अगर हम नजर डालें, तो कई सारी चीज निकल कर सामने आती हैं। देश के प्रधानमंत्री का हर मूव के पीछे कोई न कोई मकसद, कोई ना कोई मायने ढूंढे जाते हैं। बीते दो दिनों में प्रधानमंत्री मोदी के वाराणसी से नॉमिनेशन से लेकर, बाबा विश्वनाथ के दर्शन, गंगा पूजन और एनडीए के साथ बातचीत इन सब के पीछे कोई ना कोई अर्थ है, इसे हम इस नजरिए से देख सकते हैं।

इस बात को हमें समझना होगा कि पीएम मोदी के नामांकन को एक भव्य शो समझना एकदम से ना समझी होगी। कोई भी काम मोदी बिना किसी संदेश देने के अलावा नहीं करते। उनके हर कार्यकलाप में कोई न कोई संदेश छिपा होता है। उनका दो दिन का जो पूरा वाराणसी का दौर था, उसमें भी काफी बड़े राजनीतिक संदेश छुपे हुए हैं। मैं आपको बताता हूं कि जो बड़े तीन संदेश छुपे हुए हैं, अभी चुनाव के तीन चरण बचे हुए हैं और इन तीन चरणों में चुनाव कहां होने हैं? यह चुनाव उन राज्यों में होना है जो कि चुनाव के स्विंग स्टेट माने जा रहे हैं। इनमें से उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और बिहार में चुनाव हैं। हालांकि पंजाब, हिमाचल, दिल्ली, उड़ीसा इन जगहों पर भी चुनाव हैं लेकिन उनकी अपनी अलग कहानी है। लेकिन जो ये चार स्टेट हैं इन्हें स्विंग स्टेट माना जा रहा है।

अगर बीजेपी को उनको अपना सपना पूरा करना है, जिसमें कि 400 का लक्ष्य पूरा करना है या फिर पिछले आंकड़ों के जैसे भी पहुंचना है तो बीजेपी को काफी मेहनत करनी होगी, क्योंकि अभी तक जिन-चार चरणों में चुनाव हुए हैं, वहां उनकी स्थिति बहुत हद तक ठीक है, लेकिन यह जो चार स्टेट हैं, यहां एनडीए को अच्छा प्रदर्शन करना ही होगा, तभी 400 का जो नारा है या जो उनका सपना है,वह पूरा होगा या फिर पिछले बार जैसी स्थिति तक भी पहुंचने के लिए ऐसा करना होगा।

अब मैं बताता हूं कि पीएम मोदी ने दो दिनों में जो कार्यकलाप किए हैं, उन्होंने उसके जरिए क्या संदेश देने की कोशिश की है। सबसे पहले कल उनका रोड शो निकला, पूरे रोडशो में अगर आप देखें तो दोनों तरफ धार्मिक झांकियां थी। पीएम मोदी खुद केसरिया रंग के कपड़े पहने हुए थे, दोनों तरफ कहीं शंख बज रहे हैं, कहीं आरती हो रही है, तमाम धार्मिक झांकियां यहां देखने को मिली है। उसके बाद पीएम मोदी काशी विश्वनाथ के मंदिर में दर्शन करने गए। वहां पर उन्होंने दर्शन किए, फिर अगले दिन उन्होंने सबसे पहले गंगा की पूजा अर्चना की। पूरे विधि विधान के साथ उन्होंने गंगा की पूजा की। इसके बाद पीएम मोदी काल भैरव के दर्शन करने पहुंचे और फिर उन्होंने नामांकन किया। इससे उन्होंने यह साबित किया कि हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरे पीएम मोदी ही है, उनसे बड़ा कोई हिंदुत्व का चेहरा इस देश में नहीं है। क्योंकि इन राज्यों में जो उनके हिंदू वोटर हैं इसके जरिए पीएम मोदी ने उन्हें कनेक्ट करने का प्रयास किया है या उन्हें संदेश देने का प्रयास किया है।

दूसरी बात उनके नामांकन से पहले आपने देखा होगा कि वह क्रूज में सवार होते हैं। कुछ चैनलों को वहां पर उन्होंने इंटरव्यू दिए, लेकिन वह खुद कूज में सवार हुए, वह सीधे कार से भी जा सकते थे, लेकिन उन्होंने क्रूज का रास्ता चुना। पीएम मोदी इसके जरिए यह दिखाना चाहते थे कि पिछले 10 साल में उन्होंने वाराणसी और गंगा का कितना विकास किया है। उन्होंने वहां के घाट कितने सुंदर बनाए हैं। वहां क्रूज चल रहा है, जिस पर वह खुद भी सवार हो रहे हैं। तो इसके जरिए वह अपने वोटर को विकास पुरुष के रूप में दिखाने का प्रयास किया।

अब तीसरी बात जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह यह कि नामांकन के बाद जब यह हम देखते हैं कि सारे एनडीए के सहयोगी, खासकर उन राज्यों के जिन्हें मैं स्विंग स्टेट कह रहा हूं, उनसे भी उनके सहयोगी मौजूद थे। यूपी से भी उनके छोटे बड़े सहयोगी मौजूद थे। यहां तक की बिहार से भी पशुपति नाथ पारस और चिराग पासवान, जैसे नेता मौजूद थे और यह दिखाने का प्रयास उन्होंने किया कि चाचा पारस और भतीजे चिराग में भी सब कुछ ठीक है। अब चूंकि पश्चिम बंगाल में तो वह खुद अकेले ही लड़ रहे हैं और साउथ के भी उनके सहयोगी हैं। साउथ में भी में चुनाव हो चुके हैं, लेकिन उनके सहयोगी मौजूद थे। यहां पर पीएम मोदी एनडीए के साथ मिलकर एक मीटिंग की, एक मार्च निकाला और यह संदेश देने का प्रयास किया कि हम अकेले ही नहीं हम अपने सहयोगियों के साथ चलने वाली पार्टी हैं या मैं अपने सहयोगियों के साथ चलने वाला नेता हूं। यहां पीएम मोदी ने उन राज्यों को यह संदेश दिया है जहां चुनाव होने हैं।

विपक्ष में नजर नहीं आयी एकजुटता?

अभी दूसरे पक्ष की तरफ हम देखें तो अभी तक ऐसी तस्वीर नजर नहीं आई। जिस दिन राहुल गांधी ने नामांकन फाइल किया, उस दिन भी सहयोगी नजर नहीं आए। वे चाहते तो उस दिन भी अपने सहयोगियों को एक साथ ला सकते थे, लेकिन ऐसा कुछ नजर नहीं आया। यहां तक कि केजरीवाल ने भी जब अपनी 10 गारंटियां गिनाई उनका भी कांग्रेस ने अभी तक समर्थन नहीं किया है या उनके नेता इनके समर्थन में कुछ भी बातें नहीं बोले हैं। इससे यह समझ में आ रहा है कि किस तरीके से, किस सोच के साथ भाजपा और मोदी चुनाव लड़ रहे हैं। उनके हर एक कदम में कोई न कोई संदेश छिपा है, कोई न कोई राजनीति छिपी होती है और उनकी राजनीति इस ओर काम कर रही है जो उन्होंने नारा दिया है कि अबकी बार 400 पार। इसी सोच के साथ हो कम कर रहे हैं। फिलहाल यह जनता तय करेगी कि उन्हे उनके इस लक्ष्य तक पहुंचाएगी या नहीं पहुंचाएगी।

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