जनसंख्या पर सियासी शिगूफा, अब ‘आबादी’ पर आर-पार! आखिर जनसंख्या नियंत्रण कानून की कितनी जरूरत है?

जनसंख्या पर सियासी शिगूफा, अब 'आबादी' पर आर-पार! After all, what is the need for a population control law?

जनसंख्या पर सियासी शिगूफा, अब ‘आबादी’ पर आर-पार! आखिर जनसंख्या नियंत्रण कानून की कितनी जरूरत है?
Modified Date: November 29, 2022 / 08:37 pm IST
Published Date: June 2, 2022 12:51 am IST

भोपालः population control law मध्य प्रदेश में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आज चुनावी बिगुल फूंक दिया है। तो दूसरी ओर केद्रीय मंत्री ने जनसंख्या पर सियासी शिगूफा छोड़ दिया है। दरअसल, जुलाई 2019 में राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया था। इस पर दो बच्चों वाला नियम लागू करने और उल्लघंन करने पर दंडात्मक कार्रवाई का जिक्र था। 2 साल बाद इसी मुद्दे पर ससंद में 2 अप्रैल 2022 को स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस बिल की कोई ज़रुरत नहीं है। डेढ़ महीने बाद केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा जल्द आएगा जनसंख्या नियंत्रण कानून जल्द आएगा।

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population control law देश की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने केंद्र सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की तैयारी में है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने इस बात के संकेत दिए हैं। मंगलवार को गरीब कल्याण सम्मेलन में शिरकत करने रायपुर पहुंचे प्रह्लाद पटेल ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून जल्द आने वाला है। प्रह्लाद पटेल के बयान देने के 24 घंटे के भीतर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी जनसंख्या नियंत्रण कानून पर अपनी राय रखी। हालांकि केंद्र सरकार लोकसभा में कई बार कह चुकी है कि इस तरह का कानून लाने का कोई इरादा नहीं है। ऐसे में प्रह्लाद पटेल के बयान पर जुबानी जंग तेज हो चली है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने बीजेपी की मंशा पर ही सवाल उठा दिया।

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वैसे ये पहली बार नहीं है जब जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर चर्चा हो रही है। इससे पहले भी यूपी-एमपी समेत कई राज्यों में इसे लागू करने की मांग उठ चुकी है। जिसे लेकर सियासत भी खूब हुई। अब सवाल है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून की कितनी जरूरत है। जहां ये कानून लागू हैं वहां इसका कितना फायदा हुआ ?

 


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सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।