Bageshwar Sarkar reached the capital to solve the problems of the people

लोगों की समस्या का समाधान करने राजधानी पहुंचे बागेश्वर सरकार

Bageshwardham Sarkar in Bhopal: कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों राजधानी भोपाल में भक्तों की समस्याओं का समाधान करने पहुंचे है।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:28 PM IST, Published Date : June 23, 2022/5:15 pm IST

भोपाल। Bageshwardham Sarkar in Bhopal : मध्यप्रदेश में इन दिनों कथावाचक और बाबाओं की धूम मची हुई है। कथा सुनने के लिए लाखो व्यक्ति भीड़ उमड़ रही है। सभी भक्त अपनी परेशानी लेकर अस्पताल या कोर्ट के चक्कर लगाने की जगह दरवार में अर्जी लगाकर बाबाओं के पास अपनी समस्याएं लेकर जा रहे है, जहां दरबार में अर्जी लगने के बाद बाबाओं से अपनी समस्या का समाधान लेने के लिए कई-कई दिनों पहले से अपना डेरा जमाए हुए है।

बाबा के पास हर समस्या का समाधान

सोशल मीडिया में तेजी से मशहूर हुए बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर और कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों राजधानी भोपाल में भक्तों की समस्याओं का समाधान करने पहुंचे है। अयोध्या बायपास स्थित पंचमुखी हनुमान दुर्गा मंदिर प्रांगण में भक्तमाल कथा 22 जून से शुरू हो गई है जो 26 जून तक चलेगी। इस दौरान वे आज और कल (23 से 24 जून) सुबह 11 बजे दरबार लगाएंगे जिसमें वे भक्तों की हर समस्या का समाधान करेंगे।

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भक्तों का लगा जमावड़ा

इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालुओं की कथा के एक दिन पहले ही भोपाल पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। कथा की खबर सुनते ही करीब 6 हजार भक्तों ने कथास्थल पर अपना डेरा जमा लिया। आयोजकों ने 60 हजार लोगों की बैठने की व्यवस्था करवाई है। लेकिन भक्तों के इस हुजुम को देखकर ऐसा लगता है कि ये जगह भी कम पड़ जाएगी।

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प्रचार से ज्यादा जरूरी विचार

कलश यात्रा के साथ शुरू हुई भक्तमाल कथा के पहले दिन श्रीराम की कथा सुनाई। हनुमान जी का सीता माता से मिलन, रावण को चेतावनी देना, लंका दहन से पहले हनुमान जी द्वारा किए गए विचारों के बारे में बताया। साथ ही हनुमान जी द्वारा अपनी लीलाओं के जरिए किए गए प्रचार को भी समझाया। इस दौरन उन्होंने कहा कि जीवन में प्रचार से पहले विचार बहुत जरूरी है। श्री हनुामन जी पहले विचार करते हैं, फिर प्रचार करते हैं। हनुमान जी ने अपनी लीला में सबसे पहले विचार किया। हनुमान जी से सीखिए। सुंदर कांड में नौ जगह विचार की चर्चा हुई। प्रचार महत्वपूर्ण नहीं है, भगवत संबंधी विचार महत्वपूर्ण हैं। रामराज्य प्रचार से नहीं आएगा। पहले दिन कथा में 10 हजार से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे।

 
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