Balaghat news: कड़े संघर्ष की एक मिसाल बनी गांव की बेटी काजल मेश्राम.. आस्‍ट्रेलिया में भौतिक विज्ञान में करेगी रिसर्च, प्रदेश सरकार उठा रही खर्च

गांव की बेटी आस्‍ट्रेलिया में करेगी भौतिक विज्ञान में रिसर्च Village daughter Kajal Meshram will do research in physics in Australia

Balaghat news: कड़े संघर्ष की एक मिसाल बनी गांव की बेटी काजल मेश्राम.. आस्‍ट्रेलिया में भौतिक विज्ञान में करेगी रिसर्च, प्रदेश सरकार उठा रही खर्च

MP's Kajal Meshram will do research in physics in Australia

Modified Date: May 30, 2023 / 02:39 pm IST
Published Date: May 30, 2023 2:38 pm IST

MP’s Kajal Meshram will do research in physics in Australia

बालाघाट। विपरीत परिस्थितियां व्‍यक्ति को कठिन संघर्ष करने को मजबूर कर देती हैं और कठिन संघर्षों से गुजरा व्‍यक्ति ही सफलता के मुकाम को हासिल कर पाता है। कुछ ऐसी ही कहानी है बालाघाट जिले के काजल मेश्राम की है जो गरीबी और सुविधाओं के अभाव में पली बढ़ी 22 वर्षीय काजल अब मध्‍यप्रदेश शासन एवं बालाघाट जिला प्रशासन के सहयोग से आस्‍ट्रेलिया में दो वर्षों तक खगोल विज्ञान में शोध अध्‍ययन करेगी। काजल जून माह में आस्‍ट्रेलिया चली जायेगी और जुलाई महीने से उसकी कक्षायें भी प्रारंभ हो जायेगी। काजल ने अब तक अपने जीवन में जो संघर्ष किया है और जिस मुकाम पर पहुंचने जा रही है वह सभी छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणादायक है। काजल का संघर्ष यही सीख देता है कि हालात कितने ही कठिन क्‍यों न हो, हमें हार नहीं मानना चाहिए।

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काजल मेश्राम बालाघाट जिले के छोटे से ग्राम तिलपेवाड़ा की रहने वाली है। गरीबी और सुविधाओं के अभाव मे पली बड़ी काजल कड़े संघर्ष की एक मिसाल है। पारिवारिक क्लेश के कारण काजल के पिता परिवार को छोड़कर अलग रहने लगे हैं, लेकिन काजल की मां ने अपने बच्‍चों के भविष्‍य को बेहतर बनाने के लिए पूरा प्रयास किया है। काजल की मां देहाड़ी मजदूरी के साथ दूसरे के घरों में छोटे-मोटे काम करके बच्‍चों के सपनो को साकार करने मे जुटी है। काजल ने बताया कि उसकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा मे भी काफी रुकावटे आयी, लेकिन उसने हार नहीं मानी। छात्रावास में रहकर उसने अपनी पढ़ाई को रफ्तार दी और कक्षा 10 वीं में उसने 94 प्रतिशत एवं 12 वीं में 90 प्रतिशत अंकों के साथ पास किया। छात्रावास में रहकर उसने बालाघाट पोलिटेक्निक कालेज से 77 प्रतिशत अंकों के साथ बी.एस.सी. भी पास किया। वह जेईई की एग्जाम भी पास कर चुकी है, लेकिन आर्थिक तंगी ने उसके सपनो का सफर और भी कठिन कर दिया।

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बीएससी करने के बाद काजल ने अमेरिका, ब्रिटेन एवं आस्‍ट्रेलिया में भूगोल में रिसर्च वर्क के लिए आनलाईन आवेदन किया था। जहाँ उसका आस्‍ट्रेलिया की नेशनल यूनिवर्सिटी में एस्‍ट्रोलाजी एंड एस्‍ट्रो-फिजिसक्‍स में रिसर्च के लिए चयन हुआ है, जो कि दो साल का कोर्स है, लेकिन महंगाई के इस दौर मे कालज की माँ, काजल के आस्‍ट्रेलिया जाने का खर्च वहन करने मे असक्षम थी, जिसके चलते काजल मदद की गुहार लगाने बालाघाट कलेक्‍ट्रेट कार्यालय पहुंच गई और कलेक्‍टर को अपनी समस्‍या भी बताई। फिर क्या था, काजल की लगन को देखकर कलेक्‍टर ने आदिम जाति कल्‍याण विभाग से काजल के लिए विदेश अध्‍ययन छात्रवृत्ति स्‍वीकृत करा दी है।

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कलेक्‍टर की पहल पर आदिम जाति कल्‍याण विभाग द्वारा उसके विदेश में पढ़ाई के दौरान रहने का खर्च वहन करने की स्‍वीकृति प्रदान कर दी गई है। जिसको लेकर काजल ने प्रदेश सरकार और बालाघाट जिला कलेक्टर का आभार भी जताया है। ऑस्ट्रेलियाई आप्रवासन दिशा निर्देश के अनुसार छात्रा काजल मेश्राम के आस्‍ट्रेलिया में पढ़ाई के दौरान रहने का प्रति वर्ष का खर्च 21041 आस्‍ट्रेलियन डालर है। इसमें से 13532 आस्‍ट्रेलियन डालर मध्‍यप्रदेश सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। शेष 7600 आस्‍ट्रेलियन डालर का खर्च जिला प्रशासन वहन करेगा। इस तरह काजल के पीछे प्रदेश सरकार लगभग 50 लाख रूपए का खर्च उठा रही है।  IBC24 से हितेन चौहान की रिपोर्ट

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