MP के 18 विश्वविद्यालय डिफाल्टर घोषित, लोकपाल नियुक्त न करने पर UGC ने दिखाई सख्ती |

MP के 18 विश्वविद्यालय डिफाल्टर घोषित, लोकपाल नियुक्त न करने पर UGC ने दिखाई सख्ती

18 universities of MP declared defaulters: इधर यूजीसी की कार्यवाई पर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने संज्ञान लिया है। उनका कहना है कि यूजीसी के निर्देश पर विश्वविद्यालयों की सभी कमियां जल्द पूरी कर ली जाएंगी।

Edited By :   Modified Date:  February 17, 2024 / 11:27 PM IST, Published Date : February 17, 2024/11:26 pm IST

18 universities of MP declared defaulters: जबलपुर।  UGC यानि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के आदेशों को हल्के में लेना प्रदेश के 18 विश्वविद्यालयों को भारी पड़ गया है। विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति ना होने पर यूजीसी ने प्रदेश की 18 यूनिवर्सिटीज़ को डिफॉल्टर घोषित कर दिया है। यूजीसी की सख्ती बता रही है कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों ने लोकपालों की नियुक्ति ना करते हुए छात्र हितों पर ताला डाल रखा था। हालांकि अब प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री विश्वविद्यालयों की कमियां दूर करने की बात कह रहे हैं।

देश भर के विश्वविद्यालयों को अनुदान देकर उन्हें रैगुलेट करने वाले यूजीसी यानि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने अप्रैल 2023 में एक बड़ा फैसला लिया था। यूजीसी ने देश भर के विश्वविद्यालयों को ये निर्देश दिया था कि वो छात्रों की शिकायतों पर सुनवाई और निराकरण के लिए अपने विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति करें। यूजीसी के इस आदेश से कॉलेज-यूनिवर्सिटीज़ में बढ़ने वाले उन आम छात्रों की उम्मीदें जागी थीं कि जिन्हें छोटी-छोटी शिकायतों के लिए भी विश्वविद्यालयों के चक्कर काटने पड़ते थे।

लोकपाल की नियुक्ति से दाखिलों में गड़बड़ी, फीस से जुड़ी शिकायतों, परीक्षा संचालन, सर्टिफिकेट डिग्री ना मिलने, छात्रवृत्ति के मामले , आरक्षण नियमों के पालन, रैगिंग और यौन उत्पीड़न जैसी शिकायतों की भी सीधे सुनवाई और समस्याओं के निष्पक्ष निराकरण का रास्ता साफ हो गया था। लेकिन अधिकांश विश्वविद्यालयों ने यूजीसी के इस निर्देश का पालन नहीं किया। लोकपालों की नियुक्ति ना होने से छात्र बदस्तूर परेशान हैं और छात्र नेता विश्वविद्यालयों की मनमानी पर सवाल उठा रहे हैं।

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इस विरोधाभास पर यूजीसी ने सख्ती दिखाई है। यूजीसी ने लोकपाल की नियुक्ति ना करने पर प्रदेश के 18 विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर घोषित कर दिया है।
इनमें अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा,
अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल,
धर्मशास्त्र नेशनल ला विश्वविद्यालय जबलपुर,
डा. बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी आफ सोशल साइंस इंदौर,
जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर,
जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर,
मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर,
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर,
महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन,
महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट,
माखनलाल चतुर्वेदी नेशनल यूनिवर्सिटी आफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन, भोपाल,
नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर,
पंडित एसएन शुक्ल विश्वविद्यालय, शहडोल,
राजा मानसिंह तोमर म्यूजिक एंड आर्ट्स विश्वविद्यालय, ग्वालियर,
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय, छिंदवाड़ा,
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल,
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर,
सांची यूनिवर्सिटी आफ बुद्धिस्ट इंडेक्स स्ट्डीज, भोपाल

हालांकि यूजीसी की सख्ती के मद्देनज़र रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने तो लोकपाल की कागजी नियुक्ति कर दी है लेकिन बाकी यूनिवर्सिटीज़ में ना तो लोकपाल नियुक्त हुए और ना ही छात्रों की शिकायतों पर सुनवाई शुरू हुई।

इधर यूजीसी की कार्यवाई पर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने संज्ञान लिया है। उनका कहना है कि यूजीसी के निर्देश पर विश्वविद्यालयों की सभी कमियां जल्द पूरी कर ली जाएंगी।

दरअसल लोकपाल के रूप में ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति होनी थी जो कुलपति या प्रोफेसर रह चुके हों और जिन्हें डीन या एचओडी के रुप में काम करने का अनुभव हो। छात्रों की समस्याओं के निपटारे के लिए ये एक कारगर और सरल तंत्र विकसित करने की कवायद थी जिसमें छात्रों की शिकायत और निराकरण की जानकारी एक पोर्टल पर दर्ज की जानी थीं। हांलांकि यूजीसी की सख्ती के बाद देखना होगा कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय कब तक लोकपालों की नियुक्तियां कर लेते हैं।

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