भोपाल। Face To Face Madhya Pradesh: मंदिर के चढ़ावे पर किसका हक..क्या वो सरकारी खजाने पर जाना चाहिए। ये सवाल एक बार एक विहिप नेता ने पूछा हैयय मप्र में सिद्ध पीठों और मंदिरों की लंबी श्रृंखला है। ऐसे में इसी प्रश्न पर यहां भी राजनीति गर्म हो गई है । पक्ष और विपक्ष के इसमें अपनी दलील है। आज हमारा भी सवाल यही है कि चढ़ावे पर अधिकार किसका? इस वक्त देश में मंदिरों की आज़ादी का सवाल गूंज रहा है। विश्व हिन्दू परिषद मंदिरों से सरकारी नियंत्रण हटाने की मांग कर रही हैं। हिन्दू संगठन आजादी के बाद से ही यह मांग करते रहे है कि मस्जिद,दरगाह और चर्च पर सरकारी नियंत्रण नहीं तो मठों-मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण क्यों ? विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक दिनेश चंद्र ने कहा कि, देश की सरकारें हिंदुओं की चढ़ोत्तरी की राशि अन्य मदों में खर्च कर रहीं है,हिन्दू मठ मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त किए जाएं , तक सरकार निर्णय नहीं लेती विहिप का विरोध जारी रहेगा,विहिप की मांगों पर सरकार को कभी ना कभी झुकना ही होगा।
देश के लाखों मंदिर सरकारी नियंत्रण में है तो मध्यप्रदेश में भी विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर सहित 21, 104 मंदिर सरकारी नियंत्रण में है इसलिए विश्व हिंदू परिषद की मांग के बाद एमपी में भी सियासत तेज हो गई है कि आखिर मंदिरों पर किसका कंट्रोल हो सरकार का या फिर हिंदू समाज का इसपर सियासी दल बीजेपी और कांग्रेस में जुबानी जंग छिड़ी है।
Face To Face Madhya Pradesh: दरअसल, देश में मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण का इतिहास अंग्रेजों के जमाने से है और यह परंपरा आजादी के बाद भी जारी रही और बकायदा कानून बनाकर मंदिरों पर नियंत्रण जारी रखा गया है,इसके खिलाफ साधु-संतों से लेकर सामाजिक-धार्मिक संगठन सालों से आवाज उठाते रहे हैं,विश्व हिन्दू परिषद् उस आवाज को आगे बढ़ा रहा है लेकिन बड़ा सवाल है कि राष्ट्रवादी विचारधारा की बीजेपी केंद्र की सत्ता में दस साल से और प्रदेश की सत्ता में 20 साल से काबिज है तो फिर उसी के वैचारिक संगठन विश्व हिन्दू परिषद को उन्हीं की के सामने आंदोलन क्यों छेड़ना पड़ रहा है?
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