protest against dearness allowance: भोपाल। मध्य प्रदेश की राज्य सरकार ने अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों को महंगाई भत्ता देने की घोषणा की है। लेकिन इससे प्रदेश के साढ़े सात लाख से अधिक कर्मचारियों को तगड़ा झटका लगा है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि एक प्रदेश में दो प्रकार के आदेश देकर सरकार ने कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया है। बता दें आदेश के मुताबित अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों को अब 34% महंगाई भत्ता दिया जाएगा। इन अफसरों को केंद्रीय तिथि से महंगाई भत्ता देने के आदेश जारी हुए हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को जुलाई 2021 से 31 फीसदी और जनवरी 2022 से 34 फीसदी महंगाई भत्ता देने के आदेश दिए हैं। यह महंगाई भत्ता अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों को नकद दिया जाएगा। >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
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protest against dearness allowance: राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों की ही तरह महंगाई भत्ता देने के वादे किए थे। अगस्त 2022 में ही राज्य सरकार ने केंद्र के समान महंगाई भत्ता तो कर दिया, लेकिन केंद्रीय तिथि 1 जनवरी 2022 से न करते हुए कई महीने बाद अगस्त 2022 से इसे लागू करने के आदेश दिए। कर्मचारियों को यह महंगाई भत्ता सितंबर के वेतन में जुड़कर मिलेगा। इस प्रकार कर्मचारियों को 8 माह का नुकसान उठाना पड़ा है। इस प्रकार कुल कर्मचारियों के वेतन में से सरकार ने 600 करोड़ रुपए से अधिक की राशि बचा ली। आइएएस, आइपीएस, और आईएफएस को जो महंगाई भत्ता मिल रहा था, उसे केंद्रीय तिथि से देने के आदेश कर दिए गए हैं।
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protest against dearness allowance: मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने इस फैसले को भेदभावपूर्ण बताया है। उनका कहना है कि जुलाई 21 से 31% महंगाई भत्ता मिलने से लगभग 11% महंगाई भत्ते में वृद्धि होगी, दिसंबर 21 तक 6 महीने का एरियर 1,48,500 रुपए और जनवरी 22 से 34% होने पर 14% की वृद्धि होगी। इस प्रकार करीब 63,000 रुपए कुल मिलाकर 2,11,500 रुपए से अधिक नकद रुपए इन अफसरों को दिए जाएंगे। यदि कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में भी अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की तरह आदेश जारी किया जाना चाहिए।
protest against dearness allowance: केंद्रीय तिथि से वृद्धि होने पर पिछली दिनांक से महंगाई भत्ता प्रदेश में कार्यरत अधिकारी कर्मचारियों को भी मिलेगा। कर्मचारियों के साथ यह भी गलत है कि जब एरियर्स का पैसा दिया जाता है तो वो पूरी राशि जीपीएफ में जमा कर दी जाती है, लेकिन अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को यह राशि नकद भुगतान की जाएगी। एक प्रदेश में दो नियम अलग-अलग नियम नहीं होना चाहिए।
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