IBC24 Janjatiya Pragya: संदीपनी स्कूल की अवधारणा कैसे बनी…? प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने बताया शिक्षा को लेकर क्या है प्लानिंग

IBC24 के विशेष कार्यक्रम “महामंथन” में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने शिक्षा सुधार की अपनी सांदीपनी स्कूल अवधारणा, स्कूलों के एकीकरण की नीति और जल संरक्षण जैसे सामाजिक प्रयासों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने सरकार की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर भी महत्वपूर्ण विचार साझा किए।

IBC24 Janjatiya Pragya: संदीपनी स्कूल की अवधारणा कैसे बनी…? प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने बताया शिक्षा को लेकर क्या है प्लानिंग

IBC24 Janjatiya Pragya/Image Source: IBC24

Modified Date: December 2, 2025 / 08:58 pm IST
Published Date: December 2, 2025 7:57 pm IST
HIGHLIGHTS
  • “महामंथन” कार्यक्रम में हेमंत खंडेलवाल ने सांदीपनी स्कूल मॉडल के पीछे की सोच एक्सप्लेन की।
  • स्कूलों के एकीकरण से बेहतर शिक्षा और संसाधन बचत का रोडमैप पेश किया गया।
  • जल संरक्षण में उजियारो बाई जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रयासों की सराहना की।

IBC24 Janjatiya Pragya : मध्यप्रदेश सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर IBC24 द्वारा आयोजित विशेष कार्यक्रम “

भोपाल: IBC24 Janjatiya Pragya मध्यप्रदेश सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर IBC24 द्वारा आयोजित विशेष कार्यक्रम “जनजातीय प्रज्ञा” का आगाज़ हो चुका है। इस महत्वपूर्ण मंच पर राज्य सरकार की जनहितैषी योजनाओं, अब तक की उपलब्धियों, और आगे की कार्ययोजना पर विस्तृत संवाद किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में संगठन के शिल्पी सेगमेंट अंतर्गत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल शामिल हुए। उन्होंने संगठन के साथ बेहतर तालमेल और सरकार के कामों को लेकर IBC24 की ओर से किए गए सवालों का जवाब दिया।

सांदीपनी स्कूल की अवधारणा का ख्याल आपके मन में कैसे आया?

सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राइट टू एजुकेशन का लॉ जब केंद्र सरकार ने लाया था, उस समय एक अवधारणा थी कि हर छोटी आबादी के पास स्कूल होना चाहिए। 500 की आबादी के पास स्कूल होना चाहिए। धीरे-धीरे नंबर ऑफ स्कूल ज्यादा बने।
धीरे-धीरे डेवलपमेंट हुआ। नंबर ऑफ बच्चे कम हो गए, क्योंकि जो बच्चे थे वह 8वीं के बाद या 10वीं के बाद ड्रॉप आउट होने लगे या किसी और स्ट्रीम में जाने लगे तो धीरे-धीरे स्कूलों के बच्चों की संख्या कम हो गई। उसके कारण में विषय विशेषज्ञ टीचर नहीं रहते थे। इसके बाद मैंने ये विचार किया उसका अध्ययन किया। हमने बैतूल में पाया कि वहां 2900 स्कूल है और 1 लाख 80 हजार बच्चे हैं। एवरेज 60 बच्चा एक स्कूल में हैं। तो सरकार का ढाई से ₹3000 पर स्टूडेंट खर्चा है। अगर हम बड़े स्कूल कर दें एक कैंपस में बस से बच्चों को ले आए तो टीचर बच्चों का रेश्यो अच्छा हो जाएगा। फिजिक्स का, मैथ्स का, हिस्ट्री का, साइंस का और इंग्लिश का टीचर बच्चों को अवेलेबल हो जाए, अच्छे ग्राउंड हो जाए। तो इस तरह से पूरा एक वर्क आउट करके सरकार को बकायदा मैंने एक पूरा का पूरा प्रपोजल बना के दिया। अगर हम ऐसा करते हैं तो सरकार का पैसा भी बचेगा और अच्छा एजुकेशन होगा।

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जल संरक्षण को लेकर डिंडोरी के उजियारो बाई के प्रयासों को लेकर उन्होंने कहा कि समाज के ऐसे लोग जो विभिन्न ऐसे विषय में काम कर रहे हैं, जिसकी सही में आने वाले समाज को जरूरत है। पर्यावरण के लिए है, प्लास्टिक प्रबंधन है, कचरा प्रबंधन है या वाटर बॉडी बनाना या जल प्रबंधन है। कई ऐसे काम हैं, जिसमें समाज के छोटे-छोटे लोग बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। मैं मुख्यमंत्री जी को भी कहूंगा और संगठन के नाते भी चिंता करेंगे कि ऐसी सब प्रतिभाओं को जिन्होंने समाज में कोई परिवर्तन करने का काम किया है। हम उन्हें सम्मानित भी करें, बल्कि उनके बताए मार्ग पे समाज को चलने के लिए प्रेरित भी करें।

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