Jyotiraditya Scindia Kala Kauwa: ‘सिंधिया काले हों या पीले कोई फर्क नहीं पड़ता’ ज्योतिरादित्य के ‘काले कौवे’ वाले बयान पर सियासी गलियारों में कांव-कांव
'सिंधिया काले हों या पीले कोई फर्क नहीं पड़ता' ज्योतिरादित्य के 'काले कौवे' वाले बयान पर सियासी गलियारों में कांव-कांव! Jyotiraditya Scindia Kala Kauwa
Jyotiraditya Scindia
भोपाल: Jyotiraditya Scindia Kala Kauwa जैसे जैसे चुनाव करीब आते जा रहे हैं चुनाव प्रचार में फिल्मी डयलॉग्स की राजनीति में अहमियत बढ़ गई है। सिंधिया ने कर्जामाफी के मुद्दे कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया। उन्होने कहा कि ‘झूठ बोले, कौवा काटे, मैं काग्रेस के लिए कौवा हूं…। सिंधिया ये अंदाज कांग्रेस नेताओं को खास पसंद नहीं आया, उन्होंन भी कह दिया कि चाहे काले हों या पीले कोई फर्क नहीं पड़ता।
Jyotiraditya Scindia Kala Kauwa मध्यप्रदेश की राजनीति फिल्मी गीतों और फिल्मी दृश्यों और फिल्मी संवाद के इर्द गिर्द घूम रही है। जय वीरी के बाद अब काले कौवे की एंट्री ने राजनीतिक बयानबाजी का नया अध्याय शुरू कर दिया और ये अध्याय शुरू किया है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बॉबी फिल्म के मशहूर गीत ‘झूठ बोले, कौवा काटे, काले कौवे से डरियो’ का उदाहरण दिया तो कांग्रेस रास नहीं आया। दरअसल वो अशोकनगर में जनसभा को संबोधित करते हुए कर्जमाफी के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा, उन्होने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते ऋण माफी के फर्जी सर्टिफिकेट बंटवाए और उनके हाथ से भी बंटवा दिए। लेकिन पुरानी कहावत है कि झूठ बोले कौवा काटे और मैं कांग्रेस के लिए काला कौवा हूं।
Read More: Nepal Earthquake: भूकंप से हिली नेपाल की धरती, तबाही का मंजर देख दहल उठेगा आपका दिल
चूंकि 2018 में जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो सिंधिया कांग्रेस कद्दावर नेता थे। हालांकि नाराज थे, अपने पुराने सहयोगी का ऐसा बयान सुनकर कांग्रेस के नेता सक्रिय हो गए। PCC के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने। कौवे के सारे दुर्गुण खोज डाले और उसकी तुलना सिंधिया की उनसे तुलना कर दी, तो कमलनाथ ने भी जवाब देने में देर नहीं की। कमलनाथ ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कुछ भी कहें, सब जानते हैं कि क्या डील हुई। सब जानते हैं कि उन्होंने हमारी सरकार से किस तरह का लाभ लिया और जनता गवाह है। वो काले हैं या पीले, इसका जवाब मुझे नहीं देना है।
आपको बता दें कि कर्जमाफी का मुद्दा मध्यप्रदेश की राजनीनति मुख्य भूमिका में है। एक तरफ कांग्रेस का दावा है तो दूसरी ओर बीजेपी का नया वादा है। उधर कांग्रेस ये दिखाने और जताने की कोशिश कर रही है कि सिंधिया के होने या ना होने से ग्वालियर और चंबल में कोई फर्क नही पड़ने वाला। लेकिन कांग्रेस सिंधया दरकिनार नहीं कर सकती। इसलिए सिंधिया का बयान राजनीति में नया कांव कांव खड़ा कर रही है।

Facebook



