OBC, आदिवासी के सहारे सियासत, 2023 का चुनाव..’जाति’ पर दांव !
OBC,आदिवासी के सहारे सियासत, 2023 का चुनाव..'जाति' पर दांव ! Politics with the help of OBC, tribal 2023 election... bet on 'caste'!
भोपाल । मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में भले ही दो साल का वक्त हो लेकिन दोनों ही पार्टियां अभी से सियासत की बिसात पर मोहरे सजाने लगी है। यही वजह है समाज के हर वर्ग का करीबी बताने के लिए कांग्रेस और बीजेपी में होड़ लगी है। बीते 24 घंटों में जहां बीजेपी ने ओबीसी वर्ग के नेताओं को साधने की कोशिश की तो कांग्रेस आदिवासियों को जोड़ने में लगी है, लेकिन इन सबके बीच आम जनता का सबसे बड़ा सवाल ये हैं कि आखिर कब धर्म और जाति चुनाव में अहम रोल निभाएंगे क्या प्रदेश का विकास कभी मुद्दा नहीं बन पाएगा ?
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मध्यप्रदेश में बीजेपी की नजर इस वक्त प्रदेश की 50 फीसदी से ज्यादा आबादी वाले ओबीसी वर्ग पर है । ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण का जो मामला कोर्ट में चल रहा है उसके लिए सरकार मजबूती से अपनी बात रखने की तैयारी में है। इस सिलसिले में दिल्ली दौरे पर गए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ वकील रविशंकर प्रसाद से मुलाकात की है। मंगलवार को ही सीएम ओबीसी संगठन के 19 नेताओं से भी मिले, दूसरी तरफ कांग्रेस आदिवासियों को साधने में लगी है, जिसे लेकर बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस कोई भी कोशिश करे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।
दरअसल आदिवासियों को कांग्रेस का स्थाई वोटबैंक माना जाता है । 2018 के चुनावों में पार्टी को आदिवासी सीटों पर अच्छी खासी कामयाबी भी मिली थी, इसलिए पार्टी की निगाह आदिवासी वोट बैंक पर ताकि वो दूर न हो जाए। बता दें कि मध्यप्रदेश लगभग 20 प्रतिशत आबादी आदिवासी है। इनके 43 आदिवासी समूह यहां रहते हैं। इनमें भील-भिलाला करीब 60 लाख गोंड समुदाय 50 लाख….कोल 12 लाख….कोरकू 6 लाख सहरिया 6 लाख के आसपास हैं। प्रदेश की 47 सीटें आदिवासियों के आरक्षित है। इसके अलावा 30 सीटें ऐसी है जहां आदिवासियों का वोट निर्णायक है। अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सर्व आदिवासी संगठन सम्मेलन में शिरकत की..जहां उन्होंने कहा कि आदिवासी वर्ग को इस वक्त गुमराह किया जा रहा है।
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वैसे हाल ही में कांग्रेस एससी मोर्चे ने राजधानी में बड़ा प्रदर्शन भी किया, वहीं कांग्रेस ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देकर दावा करती है, कि वो इस वर्ग की हिमायती है । जबकि बीजेपी के पास इस मुद्दे सबसे बड़ा जवाब है कि बीजेपी की तरफ से पिछले तीन मुख्यमंत्री ओबीसी वर्ग से आते हैं।

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