शह मात The Big Debate: आदिवासी वाली पॉलिटिक्स..क्या एजेंडा है फिक्स? कांग्रेस या बीजेपी..आदिवासी आखिर किसके साथ?

Madhya Pradesh News: आदिवासी वाली पॉलिटिक्स..क्या एजेंडा है फिक्स? कांग्रेस या बीजेपी..आदिवासी आखिर किसके साथ?

शह मात The Big Debate: आदिवासी वाली पॉलिटिक्स..क्या एजेंडा है फिक्स? कांग्रेस या बीजेपी..आदिवासी आखिर किसके साथ?

Madhya Pradesh News | Photo Credit: IBC24

Modified Date: October 11, 2025 / 11:35 pm IST
Published Date: October 11, 2025 11:35 pm IST
HIGHLIGHTS
  • 87,549 वन अपराध मामलों की वापसी और 29 कैदियों की रिहाई का ऐलान
  • मुख्यमंत्री मोहन यादव ने धार में आदिवासी समाज के कार्यक्रम में की कई घोषणाएं
  • कांग्रेस ने भाजपा पर आदिवासी एकता तोड़ने का आरोप लगाया

भोपाल: Madhya Pradesh News मध्यप्रदेश सरकार इस बार राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस यानी बिरसा मुंडा की जयंती पर जेल में बंद अच्छे आचरण वाले 29 कैदियों को रिहा करेगी। जिसमें 8 अनुसूचित जनजाति वर्ग के बंदी भी शामिल है। इसके अलावा जो मामले ट्राइबल के ख़िलाफ़ फारेस्ट या सरकारी की ज़मीन में अतिक्रमण के हैं, उन्हें भी सरकार वापस लेगी। आदिवासियों के ख़िलाफ़ वन अपराध के पंजीबद्ध कुल 87 हजार 549 प्रकरण भी सरकार वापस ले रही है।

Madhya Pradesh News जाहिर है आदिवासी वोट बैंक भाजपा के लिए बहुत बड़ी चुनौती बीते कई चुनावों से बना हुआ है। एमपी में तकरीबन 20 जिले आदिवासी बहुल जिलों के तौर पर चिन्हित हैं, जहां कांग्रेस का प्रदर्शन बीजेपी की तुलना में हमेशा सीटों के नम्बर के आधार पर अच्छा ही होता है। और यही भाजपा के लिए सिरदर्द बना हुआ है। इसलिए आदिवासियों के आराध्य को सरकार भी समारोहपूर्वक पूजती है ताकि उस वर्ग में अपनी पैठ बनाई जा सके। इसी कड़ी में शनिवार को मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने धार जिले में जय ओमकार आदिवासी भिलाला समाज के कार्यक्रम में शामिल हुए और कई सारी घोषणाएं की।

अपने सबसे बड़े वोटबैंक में लगती हुई सेंध को देखकर कांग्रेस भला कैसे मौन रहती। विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंगार ने आरोप लगाया कि बीजेपी आदिवासियों की एकता को तोड़ने के नए षड्यंत्र में लगी है और मुख्यमंत्री मोहन यादव का आज का धार दौरा इसका ताज़ा उदाहरण है। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि बीजेपी का असली एजेंडा आदिवासी समाज को जोड़ना नहीं, बांटना है

 ⁠

अब सवाल ये है कि हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलने से लेकर कैबिनेट मीटिंग रानी दुर्गावती के किले करने तक के कई आयोजन भाजपा कर चुकी लेकिन उसे अपेक्षित नतीजे चुनावी मार्कशीट में क्यूँ नहीं मिले। ट्राइबल क्या सिर्फ मुकदमें वापस कर लेने से भाजपा के पक्ष में आ जायेगा। क्या भाजपा सभी आदिवासियों को हिन्दू कहकर एक मंच में लाने में सफल हो पाएगी? सवाल ये भी कि विपक्ष क्यूँ हमेशा इस आवाज़ को बुलंद करता रहता है कि आदिवासी हिन्दू नहीं हैं। क्या इसी लाइन पर चलकर कांग्रेस अपना वोट बैंक बचाए रखना चाहती है।


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

IBC24 डिजिटल में कंटेंट राइटर के रूप में कार्यरत हूं, जहां मेरी जिम्मेदारी मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की राजनीति सहित प्रमुख विषयों की खबरों की कवरेज और प्रस्तुति है। वर्ष 2016 से डिजिटल पत्रकारिता में सक्रिय हूं और अब तक 8 वर्षों का अनुभव प्राप्त किया है। विभिन्न प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में कार्य करते हुए न्यूज़ राइटिंग और डिजिटल टूल्स में दक्षता हासिल की है। मेरे लिए पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है—सटीक, तेज और असरदार जानकारी पाठकों तक पहुंचाना मेरा लक्ष्य है। बदलते डिजिटल दौर में खुद को लगातार अपडेट कर, कंटेंट की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।