गोंडवाना पर नजर..’सेहरा’ किसके लिए? MP में आदिवासी इस बार किसकी तरफ जाएंगे ?

गोंडवाना पर नजर..'सेहरा' किसके लिए? Eyes on Gondwana..'Sehra' for whom? To whom will the tribals go in MP this time?

गोंडवाना पर नजर..’सेहरा’ किसके लिए? MP में आदिवासी इस बार किसकी तरफ जाएंगे ?
Modified Date: June 23, 2023 / 12:55 am IST
Published Date: June 23, 2023 12:55 am IST

भोपाल । मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं। सियासत का रूख पूरी तरह चुनावी समीकरणों और वोट बैंक के हिसाब तय हो रहा है। आदिवासी वोट बैंक को लेकर भी बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही सजग हैं । गोंडवाना बेल्ट में आने वाले आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बालाघाट में रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस के मौके पर BJP ने आज गौरव यात्रा का आगाज किया। जिसका समापन PM मोदी की मौजूदगी में 5 दिन बाद होगा। बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने आम सभा में हुंकार भरी। फोकस आदिवासी वोट बैंक पर है। ऐसे में मध्य प्रदेश में आगामी चुनाव में आदिवासियों का साथ क्यों अहम हैं और दोनों ही दल किस तरह से इन्हें रिझाने की कोशिश कर रहे हैं।

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मध्य प्रदेश की चुनावी जंग में सवाल बड़ा है कि जीतेगा कौन ? इस सवाल का जवाब अभी थोड़ा मुश्किल है लेकिन ये तय है कि जिसे भी आदिवासियों का साथ मिलेगा। उसका पलड़ा भारी रहेगा। इसीलिए बीजेपी कांग्रेस दोनों इस वर्ग पर डोरे डाल रहे हैं। कांग्रेस की ओर से कुछ दिन पहले प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े आदिवासी बाहुल्य संभाग जबलपुर में बीजेपी के खिलाफ हुंकार भरी थी और अब इसी संभाग के जिले बालाघाट में बीजेपी गौरव यात्रा के आगाज के साथ आदिवासियों को साधने पहुंची है। इधर कांग्रेस बीजेपी के अभियान पर उसे घेर रही है। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी सरकारी खजाने का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए कर रही है।

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मोदी सरकार के 9 साल के सुशासन और उपलब्धियों को जनता के बीच ले जाकर। बीजेपी सत्ता के अगले संग्राम की राह को आसान करना चाह रही है। मध्य प्रदेश की चुनावी राह में बीजेपी को तमाम वर्गों के साथ आदिवासियों का भी साथ चाहिए चुनौती इसलिए भी बड़ी है क्योंकि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट। बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस के खाते में गए थे। इसलिए इस बार दोनों ही दल आदिवासियों पर फोकस कर रहे हैं। यानी जिसका मिशन आदिवासी सफल हो गया। उसका मिशन मध्य प्रदेश भी आसान हो जाएगा।

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