पिता-पुत्र, Party और Politics..’परिवारवाद’ पर लगेगी चोट! कैलाश विजयवर्गीय के बयान से गरमाई सियासत
पिता-पुत्र, Party और Politics..'परिवारवाद' पर लगेगी चोट! गरमाई सियासत! Father-Son, Party and Politics.. 'Familism' will get hurt!
भोपाल: ‘Familism’ will get hurt राजनीतिक पार्टियों में परिवारवाद हमेशा बहस का मुद्दा रहा है, जिसे कैलाश विजयवर्गीय ने एक बार छेड़ दिया है। कैलाश ने परिवारवाद की सियासत नहीं चलने की बात क्या कहीं एमपी बीजेपी में नेता पिता-पुत्रों में खलबली मच गई। हालांकि बीजेपी इस बारे में खुलकर नहीं बोल रही है तो वहीं कांग्रेस को विजयवर्गीय के बयान पर हैरानी है।
कैलाश वियजवर्गीय के बयान से गरमाई सियासत
‘Familism’ will get hurt बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के इस बयान ने पार्टी के अंदरखाने में खलबली मचा दी है। प्रदेश के उन नेता पुत्रों की नींद हराम हो गई है जो सोते वक्त भी विधायकी के सपने देखते थे। दरअसल, विजयवर्गीय का ये बयान चुनाव से ठीक पहले बड़े मायने रखता है, क्योंकि MP में पार्टी को संभालने के लिए अगली पीढ़ी की पौध तैयार हो रही है। हर चुनाव में नेता पुत्रों की तरफ से टिकट की दावेदारी हो रही है, लेकिन मोदी के परिवारवाद से परहेज का फॉर्मूला नेता पुत्रों के अरमानों पर पानी फेर रहा है।
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फेहरिस्त में सबसे बड़ा नाम शिवराज-सिंधिया के बेटे का
बात करें नेता पुत्रों की तो फेहरिस्त में सबसे बड़ा नाम CM शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह का है। इसके बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र महाआर्यमन सिंधिया। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पुत्र देवेंद्र सिंह तोमर, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा, PWD मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव, मंत्री कमल पटेल के बेटे सुदीप पटेल, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा, गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार, गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन और पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया के नाम शामिल हैं। ऐसे में विजयवर्गीय का ये बयान बड़ा इशारा है।
निशाने पर आए थे कैलाश विजयवर्गीय
विजयर्गीय के इस बयान पर पार्टी नेता खुलकर बोलने से बच रहे हैं। हालांकि उनका कहना है कि उन्होंने जो सोचा होगा वो पार्टी के हित में ही होगा। उधर, विजयवर्गीय के बयान पर कांग्रेस हैरान है, क्योंकि वो खुद बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव हैं और उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय विधायक हैं। जब पहली दफा बीजेपी की तरफ से परिवारवाद का फॉर्मूला आया था तब भी कांग्रेस के निशाने पर कैलाश विजयवर्गीय ही थे। लेकिन उस वक्त भी विजयवर्गीय अपने बेटे को टिकट दिलाने से लेकर जिताने में भी कामयाब रहे। हालांकि इस दौरान बीजेपी के दिग्गज नेता पार्टी लाइन के आगे मजबूर दिखे, लेकिन आस नहीं खोई। अभी से अगले चुनाव के लिए नेता पुत्रों ने फिर दम दिखाना शुरू कर दिया है। लिहाजा एक बार फिर बीजेपी नेता कांग्रेस के निशाने पर आ गए हैं।
मोदी लहर के आगे कोई भी चुनाव अब मुश्किल नहीं
दरअसल, विकास कार्यों और मोदी लहर के आगे कोई भी चुनाव अब मुश्किल नहीं रहा, लेकिन पार्टी कोई चूक भी नहीं करना चाहती है। लिहाजा BJP कुछ सालों तक परिवारवाद से परहेज कर अपनी जीत का सिलसिला जारी रखना चाहती है। इस कामयाब फॉर्मूले के साथ पार्टी और पीएम मोदी जरा भी समझौता करने के मूड में नहीं हैं।

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