धर्मांतरण का खेल.. सारे दावे फेल! सख्त कानून और तमाम दावों के बावजूद कनवर्जन का ये मिशन थम क्यों नहीं रहा?

सख्त कानून और तमाम दावों के बावजूद कनवर्जन का ये मिशन थम क्यों नहीं रहा? Gond tribals were being converted in Shahdol

धर्मांतरण का खेल.. सारे दावे फेल! सख्त कानून और तमाम दावों के बावजूद कनवर्जन का ये मिशन थम क्यों नहीं रहा?
Modified Date: May 31, 2023 / 12:02 am IST
Published Date: May 31, 2023 12:02 am IST

विजेंद्र पांडे, शहडोलः मध्यप्रदेश में खुलेआम धर्मांतरण हो रहा है। खासकर आदिवासी बहुल इलाकों में सेवा और सभा के नाम पर ग्रामीणों को बरगलाने की कोशिश की जा रही है। ताजा मामला शहडोल का है, जहां आदिवासियों के धर्म परिवर्तन की कोशिश को एक समाजसेवी के दखल से नाकाम कर दिया गया। कटनी में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है, जहां बाल गृह में बच्चों पर धर्म विशेष की प्रार्थना के लिए जोर-जबरदस्ती की जा रही है। दोनों मामलों में पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। लेकिन सवाल है कि सख्त कानून और तमाम दावों के बावजूद कनवर्जन का ये मिशन थम क्यों नहीं रहा?

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दरअसल, शहडोल जिले के सुदूर जैतपुर थाना क्षेत्र के डोंगरी टोला गांव में एक ग्रामीण के घर में बड़ी संख्या में गोंड आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा था। इसकी खबर मिलते ही समाजसेवी सुनैना सिंह सैय्याम मौके पर पहुंची और पास्टर की गिरेबां पकड़ कर जमकर फटकार लगाई। आनन-फानन में जैतपुर थाना पुलिस ने पास्टर समेत 2 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इधर, कटनी में बच्चों से जोर-जबरदस्ती कर धर्म विशेष की प्रार्थना करवाने की शिकायत मिली तो राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मिशनरी संस्था का औचक निरीक्षण किया। इसके बाद थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दी। धर्मांतरण के मुद्दे पर सियासी तापमान बढ़ना लाजमी है। कांग्रेस ने इसके लिए सरकार पर ठिकड़ा फोड़ा तो बड़े-बड़े दावे करने वाले सत्ता पक्ष ने जांच और कड़ी कार्रवाई का जवाब देकर पल्ला झाड़ लिया।

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मध्यप्रदेश में खुलेआम धर्म परिवर्तन का जिम्मेदार कौन है ? आखिर सख्त कानून के बावजूद इस अधर्म पर रोक क्यों नहीं लग पा रही ? क्या प्रशासन धर्मांतरण रोक पाने में नाकाम साबित हो रहा है और क्या विपक्ष सिर्फ बयानबाजी कर अपना धर्म पूरा कर रहा है? जनता जवाब मांग रही है जनाब, याद रखिए चंद महीने बाद आपको जनता की अदालत में जाना है और वहां जनता पूरा हिसाब करेगी।

 


लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।