Gwalior News: चिल्ला- चिल्लाकर मदद की गुहार..नहीं सुन रहे जिम्मेदार! तीन महीने से टापू बना यह गांव, चारों तरफ भरा 15-20 फीट गहरा पानी

Gwalior News: गांव के लोग कहते हैं.. जो मौजूद राशन है, वो भी खत्म हो गया है। उनके पास कुछ नहीं है, लेकिन प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठा रहा है। जबकि वो प्रशासन से लेकर सिंचाई विभाग के दफ्तर में भी गुहार लगा चुके है। गांव के लोग कहते हैं... कि अलापुर डेम का गेट खुल जाएं तो हालत सुधार सकते है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

Gwalior News: चिल्ला- चिल्लाकर मदद की गुहार..नहीं सुन रहे जिम्मेदार! तीन महीने से टापू बना यह गांव, चारों तरफ भरा 15-20 फीट गहरा पानी

Reported By: Nasir Gouri,
Modified Date: September 24, 2025 / 11:01 pm IST
Published Date: September 24, 2025 11:01 pm IST
HIGHLIGHTS
  • हबीबपुरा में लगभग 1500 लोगों की आबादी
  • हबीबपुरा में सबसे ज्यादा परेशान महिलाएं और बच्चियां
  • 90 दिन से अपने घरों में कैद हैं लोग

ग्वालियर: Gwalior News, मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले का एक गांव बीते 3 महीने से टापू में तब्दील है। गांव चारों तरफ बारिश के पानी से घिरा हुआ है। पानी भी 15-20 फीट भरा हुआ है। हालात यह है कि हबीबपुरा गांव के लोग जान जोखिम में डालकर गांव से बाहर निकल रहे हैं। तो वहीं, प्राइमरी स्कूल बंद है। हैरत की बात ये है गांव के लोग, चिल्ला- चिल्लाकर मदद की गुहार लगा रहे हैं। लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। हम आपको इस स्टोरी ​में दिखाएंगे ग्राउंड जीरो से हबीबपुरा के लोगों का दर्द।

तीन महीने पहले भी IBC24 ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर ग्वालियर के हबीबपुरा गांव की तस्वीर आपको दिखाया था। लेकिन तीन महीने बाद भी इस गांव की तस्वीर नहीं बदली है। तब से लेकर अब तक केवल पानी में 19-20 का फर्क पड़ा है। ऐसे में आज भी इस गांव में पहुंचने का सहारा और बाहर निकलने का एक ही विकल्प है, वो ये टूटी फूटी नांव। जिसमें हम भी हम भी अपनी जान जोखिम में डालकर बैठ गए हैं।

हबीबपुरा में लगभग 1500 लोगों की आबादी

Gwalior News: रिपोर्टर नासिर गौरी खुद इस नाव में बैठ गए हैं। गांव के लोग नाव में बैठकर पानी के डिब्बे से नाव में भरने वाले पानी को निकाल रहे हैं, लेकिन डर भी है, कहीं, नाव पलट न जाएं। ग्वालियर का हबीबपुरा शहरी इलाके से लगा हुआ है। नगर निगम की वार्ड में आता है। लेकिन यहां के हालात बद से बदतर है। हबीबपुरा में लगभग 1500 लोगों की आबादी है।

 ⁠

गांव के लोग कहते हैं.. जो मौजूद राशन है, वो भी खत्म हो गया है। उनके पास कुछ नहीं है, लेकिन प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठा रहा है। जबकि वो प्रशासन से लेकर सिंचाई विभाग के दफ्तर में भी गुहार लगा चुके है। गांव के लोग कहते हैं… कि अलापुर डेम का गेट खुल जाएं तो हालत सुधार सकते है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

हबीबपुरा में सबसे ज्यादा परेशान महिलाएं और बच्चियां

हबीबपुरा में सबसे ज्यादा परेशान महिलाएं और बच्चियां है क्योंकि इनमें कुछ दसवीं की छात्रा है, जिनकी बोर्ड परीक्षा है, वो स्कूल नहीं जा पा रही है। तो वहीं प्राइमरी स्कूल में ताला लगा हुआ। क्योंकि टीचर्स अपनी जान जोखिमें डालकर वहां नही जा सकते है। वहीं जिला प्रशासन हबीबपुरा को डूब क्षेत्र मानता है, जिससे गांव के लोग नाराज है… वो कहते है, उन्हें वर्षों गुजर गए हबीबपुर में रहते हुए… लेकिन प्रशासन मदद तो नहीं कर रहा है, बदले में उनके जख्मों पर नमक छिड़क रहा है।

मंगलवार की देर रात हबीबपुरा के लोगों ने ग्वालियर की कलेक्ट्रेट पर दोपहर से रात 2 बजे तक हंगामा किया था। इस दौरान कांग्रेस ओर आप पार्टी के लोग भी मौके पर पहुंच गए थे। जिसके बाद प्रशासन ने 2 दिन में समाधान का आदेश दिया था। अब वहीं कलेक्टर रुचिका चौहान का कहना है… सिंचाई विभाग के साथ-साथ अन्य विभागों को भी आदेश दिया है। गांव से पानी को निकालने का इंतजाम करें। साथ ही लोगों को सुविधाएं मुहैया कराएं।

बहरहाल हबीबपुरा के लोग बीते तीन महीने यानी कि 90 दिन से अपने घरों में कैद हैं। उनका गांव टापू बन चुका है, ये हालत पिछले महीनों में हुई बारिश के बाद पैदा हुए है। हबीबपुरा के लोग बताते है, 45 साल बाद ऐसे हालत बने हैं। लेकिन सवाल इस बात का है, भले ही हालत बाऱिश के समय बने हो, लेकिन अब मानसून की भी विदाई हो गयी। फिर भी गांव के लोगों को बारिश के पानी की कैद से आजादी क्यों नही दिलाई जा रही है।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com