शह मात The Big Debate: अंबेडकर के नाम..क्यों बार-बार संग्राम? क्या अंबेडकर के बहाने विवाद को तूल दिया जा रहा है?

MP News: अंबेडकर के नाम..क्यों बार-बार संग्राम? क्या अंबेडकर के बहाने विवाद को तूल दिया जा रहा है?

शह मात The Big Debate: अंबेडकर के नाम..क्यों बार-बार संग्राम? क्या अंबेडकर के बहाने विवाद को तूल दिया जा रहा है?

MP News | Photo Credit: IBC24

Modified Date: October 7, 2025 / 11:54 pm IST
Published Date: October 7, 2025 11:54 pm IST
HIGHLIGHTS
  • ग्वालियर हाईकोर्ट में अंबेडकर और बी.एन. राव की मूर्ति स्थापना को लेकर विवाद गहराया
  • पूर्व बार अध्यक्ष अनिल मिश्रा के विवादित बयान से सियासी तूफान
  • कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने

भोपाल: MP News मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में बाबा साहेब अंबेडकर और संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार बीएन राव की मूर्ति स्थापना को लेकर चल रही खींचातानी अब भाषायी गरिमा को लांघ चुकी है। इसके चलते मध्यप्रदेश में सियासी तपिश बढ़ गई है। दरअसल, MP हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल मिश्रा ने बाबा साहेब अंबेडकर को लेकर ऐसी टिप्पणी की है। जिसकी हर ओर निंदा हो रही है।

MP News अनिल मिश्रा के इस बयान के आते ही सूबे का सियासी पारा चढ़ गया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि – बीजेपी अनिल मिश्रा जैसे वकीलों के जरिए अपना एजेंडा पूरा करवा रही है, तो बीजेपी ने अनिल मिश्रा के बयान से किनारा करते हुए कानूनी कार्रवाई की मांग की। साथ ही विवाद के बहाने हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ भी बीजेपी सख्त नजर आई।

जहां एक ओर अनिल मिश्रा के बयान को लेकर सियासी नूराकुश्ती जारी रही तो दूसरी ओर मंगलवार को अनिल मिश्रा अपने वकील साथियों के पूरे लावलश्कर के साथ एसपी ऑफिस गिरफ्तारी देने पहुंचे। इस दौरान उनके समर्थकों ने फूल-माला के साथ उनका स्वागत भी किया, लेकिन पुलिस ने फिलहाल उन्हें गिरफ्तार करने से मना कर दिया।

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कुलमिलाकर ग्वालियर हाईकोर्ट में मूर्ति को लेकर छिड़ा विवाद अब दिनोंदिन सियासी होता जा रहा है। इस बीच भीम आर्मी ने ऐलान कर दिया है कि वो 15 अक्टूबर को 1 लाख जूते लेकर ग्वालियर पहुंचेगी। यानी बयानों से शुरु हुई लड़ाई अब आक्रामक होती जा रही है और एक बार फिर सवर्ण बनाम दलित की सियासी आग सुलगने लगी है। इसके पहले भी ग्वालियर सवर्ण बनाम दलित की लड़ाई में झुलस चुका है। जब साल 2018 में हुए आंदोलन के दौरान 7 लोगों की मौत हो गई थी, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि- क्या ये नए प्रतीक गढ़ने की नई लड़ाई है? आखिर अंबेडकर बनाम बीएन राव की लड़ाई से क्या हासिल होगा? क्या अंबेडकर पर कमेंट के पीछे सवर्ण मानसिकता है? और सवाल ये भी कि-क्या इसके पीछे कोई सियासी स्टंट तो नहीं है?


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

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