केएनपी के बाड़े में रखे गए चीते को फिर से जंगल में छोड़ा गया

केएनपी के बाड़े में रखे गए चीते को फिर से जंगल में छोड़ा गया

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Modified Date: July 3, 2023 / 09:31 PM IST
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Published Date: July 3, 2023 9:31 pm IST

श्योपुर, (मध्य प्रदेश), तीन जुलाई (भाषा) नामीबिया से लाए गए चीतों में से एक नर चीते पवन को कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) के जंगल में छोड़ दिया गया है। इससे पहले कुनो राष्ट्रीय उद्यान से दो बार बाहर भटकने के बाद इसे एक बाड़े में रखा गया था। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।

वन मंडल अधिकारी पीके वर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि केएनपी से भटककर उत्तर प्रदेश की ओर जाने वाला चीता ओबन जिसका नाम बदलकर अब पवन कर दिया गया है, बेहोश कर वापस लाया गया था और 22 अप्रैल से बाड़े में रखा गया था।

इससे पहले ही वह छह अप्रैल को वह करीब 750 वर्ग किलोमीटर में फैले केएनपी से निकल कर भागा था और उसे बेहोश करके वापस लाया गया था।

डीएफओ वर्मा ने कहा कि उसे बाड़े में रखने के बाद रविवार को केएनपी के जंगल में छोड़ दिया गया है।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में पार्क में 10 चीते हैं, जबकि सात को बाड़े में रखा गया है।

पिछले 10 महीनों में दो जत्थों में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीतों को भाजपा में चीतों को बसाने की योजना के तहत यहां केएनपी में लाया गया है।

नामीबिया की साढ़े चार साल से अधिक की उम्र की मादा चीता साशा की किडनी की बीमारी से मौत हो गयी जबकि दक्षिण अफ्रीका से लाए गए छह वर्षीय नर चीते उदय की क्रमश: 27 व 23 मार्च को मौत हो गयी।

दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्षा की नौ मई को संभोग के दौरान दो नर चीतों से लड़ाई में मौत हो गयी।

वहीं, सियाया नाम की चीता ने हाल ही में चार शावकों को जन्म दिया लेकिन जल्द ही उनमें से तीन शावकों की कमजोरी के चलते मौत हो गयी।

भारत में चीता को फिर से बसाने की योजना पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई है।

देश में चीतों की प्रजाति को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था, जबकि आखिरी चीते की मौत 1947 में छत्तीसगढ़ राज्य के कोरिया जिले में हुई थी।

भाषा सं दिमो संतोष

संतोष

 

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