Fake registrar office busted: फर्जी रजिस्ट्रार कार्यालय का भंडाफोड़, कई आधार कार्ड, ATM और सील बरामद, पुलिस जांच में बड़े खुलासे

Fake registrar office busted : पुलिस ने मुख्य आरोपी संजू कुलश्रेष्ठ के एक साथी वीरेंद्र सिंह भदौरिया के अलावा, आनंद शर्मा, विकास भदौरिया निवासी शैलेंद्र सेंगर को पकड़ा है। भूपेंद्र सिंह भदौरिया के मकान में ही फर्जी राजिस्ट्री का कार्यालय संचालित किया जा रहा था।

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  • Publish Date - January 14, 2024 / 08:17 PM IST,
    Updated On - January 14, 2024 / 08:17 PM IST

नासिर गौरी आईबीसी,24 मुरैना

Fake registrar office busted: मुरैना। मुरैना का जिला पंजीयक कार्यालय, जहां, सैकड़ों लोगों की भीड़ अपनी जमीन की राजिस्ट्री कराने के लिए आएं हुए है… लेकिन ऐसा ही एक फर्जी या यू कहें…पैरलर फर्जी राजिस्ट्रार ऑफिस मुरैना के बीच शहर में चल रहा था….।

मुरैना जिले में बीते कुछ महीनों से नामांतरण के लिए फर्जी रजिस्ट्रियां पहुंचने के मामले सामने आ रहे थे…बीते माह फर्जी रजिस्ट्री के आधार पर तहसीलदार कुलदीप दुबे ने एक जमीन का नामांतरण भी कर दिया। आनन-फानन में फर्जी राजिस्ट्री कराने वाले व्यक्ति ने उस जमीन पर काम करना शुरू कर दिया। ये जमीन संदीप गुप्ता के नाम पर थी..संदीप की जमीन की जालजासों ने फर्जी तरीके से राजिस्ट्री कर दी…संदीप की जमीन पर बीते…कई सालों से कोई काम नहीं हो रहा था, अचानक वहां जेसीबी चलने लगी…पड़ोसियों ने खबर दी…तो संदीप के होश उड़ गए…

मुरैना पुलिस ओर प्रशासन के पास फर्जी रजिस्ट्री की खबरें तो आ रही थी। लेकिन संदीप की फर्जी रजिस्ट्री ने पुलिस ओर प्रशासन को एक नई दिशा दे दी…जिसके बाद पुलिस ने प्रशासन से मिलकर संदीप की रजिस्ट्रियों को जोड़ाना शुरू किया…तो समझ में आया, संदीप की रजिस्ट्री किसी के गिरोह के द्वारा सुनियोजित तरीके से की गई है। यानि पहले संदीप की जमीन की रैकी गयी…उसके बाद, उसकी रजिस्ट्री ओर फिर नामांतरण किया गया। जिसके बाद पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली…

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इस दौरान पुलिस ने मुख्य आरोपी संजू कुलश्रेष्ठ के एक साथी वीरेंद्र सिंह भदौरिया के अलावा, आनंद शर्मा, विकास भदौरिया निवासी शैलेंद्र सेंगर को पकड़ा है। भूपेंद्र सिंह भदौरिया के मकान में ही फर्जी राजिस्ट्री का कार्यालय संचालित किया जा रहा था। जहां फर्जी रजिस्ट्री का कारोबार चल रहा था और यह मास्टरमाइंड संजू कुलश्रेष्ठ का पार्टनर भी है। संजू का मकान भी पास में ही…लेकिन पुलिस उसकी तलाश में बार बार रेड कर रही है। लेकिन वो फरार है

मुरैना में फर्जी राजिस्ट्रार कार्यालय की गंजू… भोपाल तक पहुंच गयी है। शासन पूरे मामले में मुरैना कलेक्टर से रिपोर्ट तलब की है… जिसके बाद आनन-फानन में मुरैना कलेक्टर अंकित अस्थाना ने राजस्व से जुड़े आधिकारियों की मींटिग बुलाई है।

फर्जी रजिस्ट्रार कार्यालय में मूल सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने का शक है। क्योंकि अरोपी के यहां से रजिस्ट्रार कार्यालय की एक अंगूठ चिन्ह पंजी मिली हैं, जिसमें साल 2014 में जमीन की रजिस्ट्री कराने वालों के नाम, पते व उनके अंगूठों के निशान फिंगर प्रिंट हैं। इस रजिस्टर पर उप पंजीयक कार्यालय मुरैना लिखा हुआ है। इसके अलावा साल 2014 का रजिस्ट्री ग्रंथ भी मिला है, जिसमें साल 2014 में हुई सभी रजिस्ट्रियों की जानकारी दर्ज है।

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आप सोच रहे होगें.. आखिर फर्जी राजिस्ट्रार कार्यालय कैसे काम करता था। तो हम आपको बताते है। रैकेट से जुड़े लोग ऐसे जमीन की तलाश करते थे, जिस पर वर्षां से किसी नजर नही है..यानि बंजर है, पट्टे की है या फिर सरकारी। – उस जमीन को चिंहित करने के बाद.. वह उसकी पुरानी राजिस्ट्री ओर दस्तावेजों को राजिस्ट्रार कार्यालय से निकालते थे। – रजिस्ट्री गुम होने पर रजिस्ट्री ग्रंथ के रिकार्ड से ही रजिस्ट्रार कार्यालय से दूसरी रजिस्ट्री निकलती है। रजिस्ट्रार कार्यालय के यह रजिस्टर किसी अधिकारी-कर्मचारी की साठगांठ से ही फर्जी रजिस्ट्री करने वालों के पास आए हैं। गिरोहे के लोग असली स्टांप व उन्हीं कागजों का इस्तेमाल करते थे, जो रजिस्ट्रार कार्यालय में उपयोग होते थे। लिखा-पढ़ी व सील भी उसी तरह लगाई जाती थी। – फिर अपने गिरोह या किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर उस जमीन की फर्जी राजिस्ट्री करके, कुछ समय बाद नांमातरण करा देते थे। – नामांतरण होने के बाद… खसरे में, फर्जी राजिस्ट्री वाले का नाम आंकित हो जाता था। उसके बाद, ये नए सिरे ये सारी प्रोसेस के बाद… जमीन को बेच देते थे।

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बहरहाल फर्जी राजिस्ट्रार कार्यालय का सरगना… संजू कुलश्रेष्ठ और उसका बड़ा भाई रामवीर कुलश्रेष्ठ दोनों मुरैना के रजिस्ट्रार कार्यालय में काम करते थे। रामवीर कुलश्रेष्ठ दस्तावेज लेखक था। तीसरा भाई महावीर कुलश्रेष्ठ एक प्रेस में काम करता था। महावीर कुलश्रेष्ठ ओर रामवीर की मौत होने के बाद… संजू कुलश्रेष्ठ ने जल्दी पैसा कामने की चाह… फर्जी राजिस्ट्री के कारोबार को चुना। धीरे-धीरे फर्जी राजिस्ट्रियां करने लगा… हांलकि पुलिस को अभी 40 रजिस्ट्री, दर्जनों सीलों के अलावा रजिस्ट्रार कार्यालय के दो रजिस्टर भी मिले हैं, जिनमें नौ साल पुरानी रजिस्ट्रियों का रिकार्ड है। अब पुलिस को केवल ओर केवल….संजू कुलश्रेष्ठ की तलाश है, जिससे उसके नेटवर्क का फर्दाफाश किया जा सकें। साथ ही ये पता चल सकें.. उसने अब कितनी फर्जी राजिस्ट्री की है, ओर उसके गैंग में कितने ओर सदस्य है।
पुलिस ओर प्रशासन की जांच में फर्जी राजिस्ट्रार कार्यालय को दो-तीन लोग नही, बल्कि नेटवर्क की तरह यूज किया जा रहा था।

नासिर गौरी आईबीसी,24 मुरैना