रोजगारपरक व नवाचार उन्मुख शिक्षा को जनांदोलन का रूप देने की आवश्यकता: धर्मेंद्र प्रधान
रोजगारपरक व नवाचार उन्मुख शिक्षा को जनांदोलन का रूप देने की आवश्यकता: धर्मेंद्र प्रधान
भोपाल, सात दिसंबर (भाषा) केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मध्यप्रदेश को वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक शिक्षा का ‘सदियों पुराना केंद्र’ करार देते हुए रविवार को कहा कि अब समय है कि भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली को कृत्रिम मेधा (एआई) से जोड़कर विश्व के सामने पेश किया जाए ताकि यहां की समृद्ध संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिले।
प्रधान मध्यप्रदेश में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 क्रियान्वयन, चुनौतियां और संभावनाएं’ विषय पर आयोजित एकदिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी कार्यशाला को संबोधित किया।
केंद्रीय मंत्री ने मैकाले द्वारा स्थापित शिक्षा व्यवस्था में भारतीयता को स्थापित करने को राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य बताया और रोजगारपरक व नवाचार उन्मुख शिक्षा को जनांदोलन का रूप देने की आवश्यकता पर बल दिया।
शिक्षा को प्राथमिकता का विषय बनाने के लिए राज्य शासन का आभार जताते हुए उन्होंने कहा, ‘मध्यप्रदेश ने संस्कृति, धर्म और ज्ञान परंपरा की निरंतरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वैज्ञानिकता, दार्शनिक स्पष्टता और अध्यात्मिकता का पुट भारतीय शिक्षा व्यवस्था का आधार रहा है।’
उन्होंने प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में ‘न्यू ऐज स्किल’ जैसे क्वान्टम कम्प्यूटिंग और एआई के विस्तार की भी आवश्यकता बताई।
प्रधान ने विद्यार्थियों के निरंतर अध्ययनरत रहने, शोध को स्थानीय आवश्यकताओं से जोड़ने, शैक्षणिक संस्थाओं के प्रबंधन में समाज की भागीदारी बढ़ाने और शैक्षणिक संस्थाओं के प्रबंधन को समाज के प्रति उत्तरदायी बनाने पर भी जोर दिया।
बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के अभियान में समाज को जोड़ने की आवश्यकता बताते हुए केंद्रीय मंत्री आयोजनों में महंगे पुष्प-गुच्छ से स्वागत की परंपरा के स्थान पर फलों की टोकरी देकर स्वागत करने का नवाचार अपनाने का सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि उज्जैन वैदिक काल से ही समय गणना का प्रमुख केंद्र रहा है।
मंत्री ने कहा, ‘अब समय है कि भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली को आधुनिक कृत्रिम मेधा से जोड़कर विश्व के सामने पेश किया जाए, ताकि दुनिया हमारी समृद्ध संस्कृति और ज्ञान विज्ञान को पहचान सके।’
राज्यपाल पटेल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भारत के भविष्य को नई दिशा देने की दूरदर्शी कार्ययोजना करार दिया और कहा कि मध्यप्रदेश को शिक्षा–परिवर्तन की दिशा में देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए नीति की दिशा, लक्ष्य और समन्वित कार्य–संस्कृति के द्वारा प्रयास करने होंगे।
उन्होंने नीति के लक्ष्यों समग्र शिक्षा, समग्र विकास और समग्र राष्ट्र-निर्माण से जुड़ी चुनौतियों और मध्यप्रदेश की विशेष परिस्थितियों में उपलब्ध संभावनाओं पर प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सामूहिक विचार की पहल की सराहना की।
पटेल ने कहा, ‘यह भी समझना होगा कि नीति का सफल क्रियान्वयन केवल प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि एक संयुक्त राष्ट्रीय प्रयास है।’
राज्यपाल ने गुजरात की ‘दूध संजीवनी’ योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि विद्यालयों में बच्चों को दूध देने की इस पहल से न केवल कुपोषण में कमी आई है, बल्कि बच्चों की उपस्थिति भी अधिक नियमित हो गई है।
उन्होंने कहा, ‘बच्चों को स्कूल भेजकर उन्हें शिक्षकों की जिम्मेदारी मानना उचित नहीं है। बच्चों के विकास में पालकों का भी दायित्व महत्वपूर्ण है।’
मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश, देश में अग्रणी है।
उन्होंने कहा, ‘प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को केवल शैक्षणिक सुधार न मानकर राज्य के कौशल, नवाचार और सांस्कृतिक पुनर्जागरण से जोड़ा गया है। प्रदेश के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों को ‘कुलगुरु’ का संबोधन देकर हमने प्राचीन गुरुकुल आदर्श को आधुनिक व्यवस्था से जोड़ा है।’
यादव ने कहा कि विश्व में जिन भी महापुरुषों ने समय की धारा को बदला है, उन महापुरुषों के व्यक्तित्व विकास में गुरुओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने युवाओं के लिए अपनी क्षमताओं को निखारने और उन्हें विस्तार देने के व्यापक आयाम दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य शासन द्वारा प्रदेश में 370 सांदीपनि स्कूल स्थापित किए गए हैं जो 21वीं सदी के कौशल, नई शिक्षा नीति और शिक्षा में नवाचार का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यहां विद्यार्थियों के लिए गुरुकुल की गरिमा और डिजिटल युग की दक्षता उपलब्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘प्रदेश में उच्च शिक्षा संस्थान प्रदेश के महापुरुषों के नाम पर स्थापित किए जा रहे हैं। यह राज्य सरकार के लिए गर्व का विषय है कि प्रदेश के इंदौर और रतलाम के सांदीपनि विद्यालयों को वैश्विक स्तर पर सराहा गया है।
भाषा ब्रजेन्द्र नोमान
नोमान

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