Once again the smell of cabinet expansion
Once again the smell of cabinet expansion
(रिपोर्टः सुधीर दंडोतिया) भोपालः चुनाव से पहले कांग्रेस जहां भारत जोड़ों यात्रा और संविधान बचाओं यात्रा के ज़रिए माहौल बनाने की कोशिश में हैं तो बीजेपी कुछ नए चेहरों को मंत्रीमंडल में जगह देकर और जिला अध्यक्षों के परमार्मेंस के आधार पर 16 जिलों के अध्यक्षों को बदल सकती है। यानी क्रास वोटिंग और हार की गाज इन जिला अध्यक्षों पर गिरेगी। जाहिर है बीजेपी चुनाव जीतने के लिए कोई कोर-कसर और लापरवाही नहीं बरतना चाहती है। इसलिए तीन अलग-अलग अंचलों के विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। ख़बर ये भी है जिन मंत्रियों का काम अच्छा नहीं है उनका डिमोशन तय है तो आज का हमारा विषय है फिर बदलाव की हवा, क्या जीत की नई दवा होगी।
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Once again the smell of cabinet expansion मध्यप्रदेश में एक बार फिर मंत्रीमंडल विस्तार की सुगबुगाहट तेज है। चर्चा है कि जिन मंत्रियों का प्रदर्शन कमजोर रहा है या जिनकी शिकायतें अधिक हैं, उनके विभागों में परिवर्तन कर उन्हें कम महत्व वाले विभागों का दायित्व दिया जाएगा। सरकार में फिलहाल चार मंत्री पद खाली हैं.. जल्द ही तीन नए मंत्री बनाए जा सकते हैं। इन पदों पर तीन अलग-अलग अंचलों से आने वाले एक- एक विधायक को शपथ दिलाने की संभावना बनती दिख रही है। हालांकि मंत्री पद के दावेदारों में आधा दर्जन से अधिक नामों की चर्चा है। वहीं जिन जिलों में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के परिणाम बीजेपी की अपेक्षानुसार अच्छे नहीं रहे हैं, वहां भी बीजेपी जिला अध्यक्षों की बदलाव कर सकती है।
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वैसे प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं लंबे समय से चल रही हैं। लेकिन नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के बाद इसकी अटकलें और अधिक तेज हो गई है। जिस तरीके से बीजेपी को कई जिलों में नगर निगम, नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में रीवा, सीधी, सतना, मुरैना, छिंदवाड़ा, जबलपुर, सहित कई जिलों में अपेक्षाकृत अच्छे परिणाम नहीं मिले हैं, उसे देखते हुए पार्टी में चिंतन-मंथन का दौर शुरू हो गया है। बीजेपी में बदलाव की सुगबुगाहट पर कांग्रेस तंज कस रही है।
सवा साल बाद मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में बीजेपी अभी से लाव-लश्कर के साथ पूरी ताकत से मैदान में उतरने की तैयारी में जुटी है। अब सवाल है कि क्या बीजेपी महज क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को साधने मंत्रिमंडल विस्तार और 16 जिलों में बदलाव कर रही है। बदलाव की हवा से क्या बीजेपी को जीत की दवा मिल पाएगी।