ग्वालियर: Returens Home a Person महाराष्ट्र के अमरावती में रहने वाले 54 वर्षीय रानू तान्या की जिंदगी की कहानी फिल्म की तरह दिलचस्प है। 17 साल पहले 2005 में अपना घर और परिवार छोड़कर अमरावती से गायब हुए रानू को घरवालों ने 12 साल तक तलाश किया। लेकिन जब उनका पता नहीं चला तो पांच साल पहले अप्रैल 2017 में उन्हें मृत मानकर तेरहवीं कर दी।
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Returens Home a Person कहानी में दिलचस्प मोड़ तब आया, जब हाल ही में 14 फरवरी को घरवालों को उनके जिंदा होने और ग्वालियर में गुढ़ागुढ़ी का नाका स्थित संस्था स्वर्ग सदन में रहने की खबर मिली। यह खबर स्वर्ग सदन के कार्यकर्ताओं ने परिजनों तक पहुंचाई थी। खबर पाकर परिजन के साथ रानू का 23 साल का बेटा भी ग्वालियर आया, जिसे वे 6 साल का छोड़ आए थे। बेटे ने तो उन्हें पहचान लिया, लेकिन रानू उसे पहचानने की कोशिश कर रहा है। रानू को देखते ही उनके परिवार के लोगों की आंखों में खुशी के आंसू छलक आए।
स्वर्ग सदन के संचालक विकास गोस्वामी बताते हैं कि रानू उन्हें 5 जून 2020 को रेलवे स्टेशन पर मिले थे। वह ज्यादा कुछ बता नहीं पा रहे थे, उन्हें मिर्गी के दौरे भी पड़ते थे। इसके बाद उन्हें आश्रम ले आए, यहां पर ईलाज शुरू कराया। आपको बता दें कि रानू तान्या अमरावती के चिखलदरा पुलिस थाने के नवलगांव में रहते थे। वह खेतों में मेहनत-मजदूरी करते थे। घर में मां पुनिया, 4 छोटे भाई और 3 बड़ी बहनें थीं।
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