MP News: विदेशों में हो रही मध्यप्रदेश में बनने वाले इस प्रोडक्ट्स की डिमांड, जानिए क्यों है इतना खास

Demand for bamboo utensils of MP's Satna in foreign countries विदेशों में हो रही मध्यप्रदेश में बनने वाले इस प्रोडक्ट्स की डिमांड

MP News: विदेशों में हो रही मध्यप्रदेश में बनने वाले इस प्रोडक्ट्स की डिमांड, जानिए क्यों है इतना खास

Bamboo Mission Scheme Demand for bamboo utensils of MP's Satna in foreign countries

Modified Date: June 11, 2023 / 05:06 pm IST
Published Date: June 11, 2023 5:06 pm IST

Demand for bamboo utensils of MP’s Satna in foreign countries

सतना। मध्यप्रदेश के सतना में बने बांस के बर्तनों की डिमांड ना सिर्फ देशभर में है, बल्कि बड़ी मात्रा में विदेशों तक इनकी डिमांड हो रही है। बांस मिशन योजना मध्यप्रदेश के तहत सतना में संचालित कॉमन फैसिलिटी सतना के नाम से एक संस्था बांस से बने बर्तन का निर्माण कर रही है, जिसका संचालन सतना का वनविभाग कर रहा है। लंबे वक्त से चल रही इस संस्था को चार स्व सहायता समूह के जरिए चलाया जा रहा है। यहां ना सिर्फ बांस के बने बहुतायत उत्पाद तैयार हो रहे हैं,, बल्कि प्राचीन कालीन सभ्यता को भी यहां संजो के रखने का प्रयास किया जा रहा।

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सतना मुख्यालय से कुछ ही दूर पर सोनौर वन क्षेत्र है, जहां वन विभाग की नर्सरी में बांस से बने बर्तन, फर्नीचर, अगरवत्ती, और सजावट जैसे उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं, जिनकी डिमांड विदेशों तक है। ऑनलाइन शॉपिंग हो या ऑफलाइन हर प्रकार से यहां के बने प्रोडक्ट की सेल बड़ी मात्रा में हो रही। आपको बता दें कि यहां बांस मिशन योजना के तहत बांस से बनी हर एक वस्तु को तैयार किया जाता है। ना सिर्फ अगरबत्ती, बल्कि फर्नीचर, बर्तन, सजावट की तमाम वस्तुएं यहां बनाई जा रही। बांस को पहले किसानों से खरीदा कर केमिकल के साथ मशीन में ट्रीट किया जाता है। ऐसा करने से बांस की लाइफ बढ़ जाती है और आने वाले कई सालों तक वह खराब भी नहीं होता फिर डिमांड के हिसाब से प्रोडक्ट बनाया जाता है।

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इस पूरी संस्था को बांस खरीदने से लेकर बने हुए उत्पादों को विदेशों तक भेजने का काम 4 स्व सहायता समूह करता हैं। यहां से सैकड़ों लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। गौरतलब है कि वर्तमान समय में लोग स्टील और प्लास्टिक का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं। प्राचीन काल में देखें तो बांस के बने बर्तन घरेलू सामग्री बहुतायत मात्रा में इस्तेमाल होती थी। जो धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। सतना का वन विभाग यहां संचालित बांबू प्रोजेक्ट के माध्यम से ना सिर्फ लोगों को रोजगार दे रहा है, बल्कि इस पुरानी पद्धति और सभ्यता को भी जिंदा किए हुए है। IBC24 से मृदुल पांडे की रिपोर्ट

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